बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा केंद्र से तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी कीर्ति झा आजाद का जीत दर्ज करना काफी कठिन है। इसका कारण है तृणमूल कांग्रेस की आपसी गुटबाजी। हालांकि कुछ दिन पहले कांग्रेस की सुप्रीमो सह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिले के दौरे पर आई थी, तो सभी नेताओं को गुटबाजी खत्म कर एक साथ मिलकर चुनाव जीतने की अल्टीमेटम दे गई थी। लेकिन ममता बनर्जी की चेतावनी का भी प्रभाव स्थानीय नेताओं पर पड़ता नहीं दिख रहा है। टीएमसी और आईएनटीटीयुसी के नेताओं में गुटबाजी चरम पर है। एक गुट के द्वारा सभा किए जाने के बाद पलटवार में सभा किया जा रहा है। विश्वनाथ परियाल को लेकर गुटबाजी अपनी चरम सीमा पर है। गौरतलब है कि इस गुटबाजी का नतीजा ही रहा कि 2019 में भाजपा के एसएस आहूवालिया ने काफी कम अंतर से यह सीट जीता था। विधानसभा चुनाव में दुर्गापुर पश्चिम से लखन घुरई टीएमसी की आपसी गुटबाजी के कारण ही जीत हासिल की थी। इस गुट बाजी को खत्म करने के लिए ही टीएमसी आलाकमान ने वर्धमान दुर्गापुर सीट से पूर्व क्रिकेटर और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के लड़के कीर्ति झा आजाद को अपना प्रत्याशी बनाया है, ताकि दोनों गुटों के नेता और कार्यकर्ता एक साथ मिलकर कार्य करें, जिससे जीत की डगर सुगम हो सके। लेकिन इसके बावजूद गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि भाजपा ने इस सीट से अभी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। लेकिन स्थानीय गुटबाजी को देखकर लगता है कि तृणमूल कांग्रेस के लिए वर्धमान दुर्गापुर सीट को निकालना काफी कठिन होगा। अब देखना है कि टीएमसी नेतृत्व इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाती है। कीर्ति झा आजाद कैसे इसका प्रबंधन करते हैं। यह भी देखने योग्य होगा। हालांकि लड़ाई दिलचस्प तब होगी जब भाजपा भी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दे।