पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार!

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की बेंच ने चटर्जी को ‘भ्रष्ट व्यक्ति’ करार दिया और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
पार्थ चटर्जी, जो शिक्षक भर्ती घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी हैं, ने समानता का हवाला देते हुए तमिलनाडु के एक मंत्री के जमानत पाने का तर्क दिया। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने उनके पक्ष में दलील दी, लेकिन अदालत ने कहा, “अगर तमिलनाडु का मंत्री जमानत पाता है, तो क्या इसका मतलब है कि आप भी पाएंगे? देश के सभी मंत्रियों के बीच कोई संबंध नहीं है।”

मंत्री और सह-अभियुक्तों में फर्क:
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्थ चटर्जी एक मंत्री थे, जबकि जिन सह-अभियुक्तों को जमानत मिली है, वे मंत्री नहीं थे। इसलिए, चटर्जी उनके साथ समानता का दावा नहीं कर सकते।

जेल में दो साल, पर जमानत नहीं:
पार्थ चटर्जी को जेल में दो साल हो चुके हैं। अदालत ने कहा कि यदि चटर्जी जमानत पाने के योग्य हैं, तो एक दिन की भी देरी गलत है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि “कैद हमेशा के लिए नहीं हो सकती, लेकिन जमानत पर फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि इसका ट्रायल प्रक्रिया पर क्या असर पड़ेगा।”

ईडी की धीमी जांच पर सवाल:
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, “जांच दो साल से चल रही है। क्या इतनी लंबी जांच की जरूरत थी?” अदालत ने ईडी को निर्देश दिया कि यदि चटर्जी से पूछताछ करनी है, तो वह न्यायिक हिरासत में की जाए।

घोटाले का विवरण:
पार्थ चटर्जी को 23 जुलाई, 2022 को शिक्षक भर्ती घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया था। उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। गिरफ्तारी के बाद, उन्हें मंत्री पद और तृणमूल कांग्रेस के सभी पदों से हटा दिया गया।

शिक्षक भर्ती घोटाला:
यह मामला पश्चिम बंगाल के शिक्षा क्षेत्र के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक है। आरोप है कि शिक्षक भर्ती में भारी अनियमितताएं और वित्तीय लेन-देन हुए। पार्थ चटर्जी इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं, और उनकी जमानत पर फिलहाल कोई राहत नहीं है।

ghanty

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