आसनसोल। औद्योगिक क्षेत्र आसनसोल-सिलपंचल में कोयला खदानों से जुड़े श्रमिकों के शोषण का मुद्दा फिर सुर्खियों में है। आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा कैजुअल वर्कर्स को न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान करने और श्रमिकों के अधिकारों का हनन करने के आरोप लगे हैं।
🔥 मजदूरों को ₹30,000 वेतन दिखाकर ₹12,000 में निपटा रही कंपनियां!
विशेष रूप से पांडेश्वर विधानसभा क्षेत्र की खदानों में यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आउटसोर्सिंग कंपनियां सरकारी रिकॉर्ड में श्रमिकों का वेतन ₹28,000-₹30,000 दिखा रही हैं, लेकिन हकीकत में उन्हें सिर्फ ₹12,000-₹15,000 मिल रहे हैं।
⚠️ श्रमिकों का पैसा आखिर कौन डकार रहा है? जानकारों का कहना है कि यह बड़े पैमाने पर घोटाला है, जहां आउटसोर्सिंग कंपनियां श्रमिकों के खून-पसीने की कमाई पर मुनाफा कमा रही हैं। यह मुद्दा न केवल आर्थिक शोषण से जुड़ा है बल्कि स्थानीय राजनीति और कोयला माफिया के गठजोड़ को भी उजागर करता है।
🚨 आंदोलन करने वाले मजदूरों पर हमले!
जब मजदूर अपने हक की मांग करते हैं या विरोध प्रदर्शन करते हैं, तो उन पर हमले किए जाते हैं। पांडेश्वर, वन बहाल और लाहदोहा जैसे इलाकों में मजदूरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।
👉 आखिर क्यों डर रही हैं आउटसोर्सिंग कंपनियां? श्रमिकों का कहना है कि अगर वे अपने पूरे वेतन की मांग करते हैं, तो उन्हें डराया-धमकाया जाता है और कई मामलों में मारपीट तक की जाती है।
🗣️ जितेंद्र तिवारी का बड़ा खुलासा – ‘तृणमूल नेताओं की कमाई का जरिया बनी हैं ये कंपनियां!’
पूर्व तृणमूल नेता जितेंद्र तिवारी ने इस मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ आउटसोर्सिंग कंपनियां तृणमूल नेताओं की काली कमाई का जरिया बन गई हैं।
उन्होंने कहा,
“ये कंपनियां कोयला खदानों में श्रमिकों का शोषण कर रही हैं और तृणमूल के कुछ नेता इनसे पैसा बना रहे हैं। मजदूरों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है।”
🏛️ सरकार कब लेगी एक्शन?
श्रमिक संगठनों ने इस मुद्दे की जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपील की है।
✔ क्या सरकार श्रमिकों के हक की रक्षा करेगी? ✔ क्या कोयला माफिया और नेताओं का गठजोड़ बेनकाब होगा? ✔ आउटसोर्सिंग कंपनियों का यह खेल कब तक चलेगा?
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेते हैं।