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केंद्र में क्षमता में रहना है तो ममता जरुरी है, इसलिए अधीर पर बरसे खड़गे

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कांग्रेस नेतृत्व को इस बात का एहसास हो गया है कि उनकी पार्टी के लिए दिल्ली में अकेले सरकार बनाना संभव नहीं है l इसलिए अन्य विपक्षी दल आश्वस्त हैं। हालांकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन से भी सीटों पर सहमत नहीं हुई है, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व तृणमूल नेता को मनाने में लगा हुआ है। इसी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ममता के कट्टर विरोधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी को भी नहीं बख्शा l गांधी परिवार के समर्थन के बिना खड़गे का इतना आक्रामक होना संभव नहीं था l

Kharge Adhir

अगर वह परिवार किसी तरह केंद्र में सरकार बनाने में आ गया तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने के लिए कदम बढ़ा चुके हैंl वे दो बार भारत यात्रा की मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते l कांग्रेस नेतृत्व सरकार बनाने का सपना दिखाकर मतदाताओं पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन सर्वेक्षण कर्ताओं को भाजपा की क्षमता नजर आ रही है। फिर भी कांग्रेस के शीर्ष नेता सरकार बनाने की उम्मीद में तृणमूल की तरह तिनके का सहारा ले रहे हैं।
हालांकि, तृणमूल नेता ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी कांग्रेस की कम आलोचना नहीं की l उन्होंने इस बात को भी कम महत्व दिया कि कांग्रेस को मुट्ठी भर सीटें मिलेंगी। इस साल के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को कितनी सीटें मिलेंगी, इसे लेकर सर्वेक्षण कर्ताओं के बीच संदेह है। उन्हें लगता है कि भर्ती भ्रष्टाचार, राशन घोटाला, कोयला और गाय तस्करी मामले और संदेशखालि कांड मामले में तृणमूल बैकफुट पर है। फिर भी कांग्रेस नेतृत्व जमीनी स्तर पर ध्यान दे रहा है।

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कुछ दिन पहले सबसे पहले तृणमूल नेता ममता बनर्जी ने भारत गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात कही थी l उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई विवाद हुआ तो वे गठबंधन में बने रहेंगे l दो बार की बात से खड़गेरा उत्साहित हैं l सरकार बनाने के लिए समर्थन मिले तो! लेकिन अधीर चौधरी ने कहा, ममता को कोई भरोसा नहीं है. वह बीजेपी से भी हाथ मिला सकती हैं l और इस पर खड़गे साहब नाराज हो गए l खड़गे ने ममता का दिल जानने के लिए कहा, अधीर निर्णय लेने वाले नहीं हैं l कांग्रेस हाईकमान फैसला करेगा l यदि आप सहमत नहीं हैं तो आपको ग्रुप छोड़ना होगा।
पता नहीं अधीर को इस बात से कितना अपमानित महसूस हुआ l लेकिन अधीर चौधरी ने इसबार चुनाव में काफ़ी दम लगा दिया है l क्योंकि उन्होंने अकेले ही वोट के लिए लड़ाई लड़ी l उनके अभियान के दौरान गांधी परिवार या खड़गे से कोई भी एक दिन के लिए भी बहरामपुर नहीं आया। बल्कि कई लोगों का मानना ​​है कि वे ममता को खुश करने के लिए अधीर के लिए प्रचार करने नहीं आये थे l आत्मविश्वास से भरे अधीर बंगाल में तृणमूल के खिलाफ नैतिक संघर्ष को रोकने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, कोई बंगाल में कांग्रेस को खत्म करना चाहता है, मैं उसके लिए ऐसा नहीं कर सकता l ये लड़ाई जारी रहेगी l फिलहाल अधीर 4 जून का इंतजार कर रहे हैं l जीत ही उसका योग्य उत्तर होगी।

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