आसनसोल: आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर और भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने सोमवार को आसनसोल कोर्ट के सीजीएम विभाग में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके साथ गोपीनाथ पात्रा ने भी सरेंडर किया। इस मामले में कुल पांच धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें से एक गैर-जमानती (नॉन-बेलेबल) है।
⚡ जामुड़िया पंप हाउस विवाद से जुड़ा मामला

यह मामला कुछ दिन पहले जामुड़िया के दरबा डांगा घाट पंप हाउस में हुए हमले से जुड़ा है। जितेंद्र तिवारी का दावा है कि वह इलाके में अवैध बालू खनन और जलस्तर की स्थिति का जायजा लेने गए थे। इसी दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने उन पर हमला कर दिया।
🔍 पुलिस के आरोप और अदालत में सरेंडर

हमले की घटना के बाद पंप हाउस कर्मियों ने तिवारी और गोपीनाथ पात्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।
🔥 भाजपा का पलटवार, TMC पर लगाए आरोप

इस घटना के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ गया है। पार्टी के समर्थकों का कहना है कि तृणमूल सरकार के इशारे पर जितेंद्र तिवारी को फंसाने की साजिश रची गई है। वहीं, तृणमूल नेताओं ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।
⚖️ अगली सुनवाई और सियासी घमासान
कोर्ट ने तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है। इस मामले को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच सियासी संग्राम तेज हो गया है।