कुल्टी, बराकर बेगुनिया बाजार स्थित गोरांगों मंदिर मे चल रहें धार्मिक अनुष्ठान के दौरान गुरुवार को तीसरे दिन श्रीमद्भ भागवत कथा का स्मरण कराते हुए बृंदावन से आए कथा वाचक विवेक मिश्र ने ब्यास पीठ से कहा की राजनीति को ही राजधर्म कहा जाता है । राजधर्म ब्यास पीठ से नियंत्रित होता है । संरक्षित सद्भावना रखने तथा शासन तंत्र की संरचना करना ब्यास पीठ का दायित्व है ।
आज की कथा मे राजा परीक्षित द्वारा भगवान सुखदेव जी से पूछे गए सवालों पर कहा की यह कर्म प्रधान भूमि है और सत्य के पथ पर चलने वाले लोग ही मुक्ति के द्वार तक पहुंचते है l यहां पर कर्म से संबंधित कई व्याख्या है l जिसमे सत्य को उत्तम कहा गया है । उन्होंने कहा कि सभी जातियों मे मानव जाति को सर्वश्रेष्ठ कहा गया । मनुष्य आहार और व्यवहार से हर क्षण भगवान को स्मरण कर सकता है ।
उन्होंने कहा कि ब्यास पीठ से बैन जैसे दुर्दान्त राजा को भी नियंत्रित किया गया था । उनके पुत्र पर्थु राजा के रूप में शासक बने थे । त्रेता युग में रावण जैसा दुर्दांत राजा को भी ब्यास पीठ के माध्यम से ऋषि मुनियों ने नियंत्रित किया था और राम राज्य की स्थापना की थी । द्वापर युग मे दुर्योधन और कंस जैसे दुर्दांत राजाओं को ब्यास पीठ से ही धर्म के रास्ते पर चलकर नियंत्रित किया गया था और धर्मराज युधिष्ठिर को शासक बनाया गया था । धर्म से राजनीति चल सकती है । लेकिन राजनीति से धर्म नही चल सकता है । उदाहरण स्वरूप देश का एक सबसे बड़े राज्य मे धर्म की स्थापना की गई । अधर्मी भूमिगत हो गए या अपने अंजाम को पा गए । इस प्रकार का शासन राष्ट्र हित मे माना जाता है । सनातन धर्म पारदर्शी होता है बिना भेदभाव का बासुदेव कुटुंब की नीति पर चलकर पूरी दुनिया में सनातन धर्म का झंडा लहरा रहा है । यह धर्म सभी धर्मो का सम्मान करता है और भाईचारा का संदेश देता है । इतनी खूबियां अन्य किसी पंथ या मजहब मे नही है ।