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शुभेदु अधिकारी दिलीप घोष से हार गए

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इस साल के लोकसभा चुनाव में विपक्षी नेता शुभेदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लिए बलि के बकरे की भूमिका निभाई थी l हालांकि सुकांत मजूमदार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष है, लेकिन शुभेदु ही चुनावी लड़ाई में सेनापति की भूमिका निभाई l नरेंद्र मोदी,अमित शाह ने उन पर दांव लगाया l लेकिन वोट के अंत में देखा गया कि शुभेदु दिलीप घोष से हार गये l पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्य्क्ष रहने के दौरान दिलीप ने लोकसभा 2019 में सीटों की संख्या दो से बढ़ाकर 18 कर दी और सुभेंदु के समय इसे 18 से घटाकर 12 कर दिया गया l 2021 के विधानसभा चुनावों में जब दिलीप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब भाजपा ने अपनी सीटों की संख्या तीन से बढ़ाकर 77 कर दी। सुभेंदु की पहल पर तृणमूल से कई नेताओं और मंत्रियों को बिना चयन के भाजपा में ले लिया गया l जिसे दिलीप घोष दिल से स्वीकार नहीं कर सके। उनके करीबी लोगों के अनुसार, अगर भाजपा तृणमूल से नेताओं और मंत्रियों को लाने के बजाय अपने दम पर लड़ती तो अधिक सीटें जीतती।
विधानसभा चुनाव के बाद दिलीप घोष को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया l राज्य बीजेपी पर शुभेदु का कब्जा लगभग हो गया l आरोप है कि इस साल के उम्मीदवारों के चयन और पार्टी के संगठनात्मक कार्यों से लेकर चुनावी रणनीति तैयार करने में उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया गया l इतना ही नहीं अंतिम समय में जिस तरह से उन्हें उनके मेदिनीपुर केंद्र से बर्दवान-दुर्गापुर केंद्र में स्थानांतरित किया गया, उसका दुशपरिणाम भी बीजेपी को मिला l बीजेपी दोनों सीटें हार गई l दिलीप की तरह अग्निमित्र पॉल को एक नई जगह पर जाना और कम समय में सब कुछ इकट्ठा करना है। जिन्होंने भी दिलीप को दुर्गापुर केंद्र में भेजने की साजिश रची उन्हें अब अच्छी तरह पता चल गया है कि उन्होंने पार्टी को कितना डुबोया है। आसनसोल, डायमंड हार्बर आदि केंद्रों में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में असमान्य देरी को भी उलट दिया गया है।
इस साल के लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखने के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को होश आया है या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा l
लेकिन जिस उद्देश्य के लिए शुभेदु को अत्यधिक महत्व दिया गया, वह उपयोगी नहीं था, यह परिणाम से समझ में आता है। ऐसा सोचा गया था कि शुभेदु जमीनी स्तर पर हैं l इसलिए वह उनकी दुविधा को बेहतर ढंग से समझेंगे। लेकिन कोई सबूत नहीं मिला l उनके रवैया के कारण भाई सौमेंदु अधिकारी अधिक वोट नहीं जीत सके।
इस बार प्रदेश बीजेपी में बढ़ेगी दिलीप घोष की अहमियत? पार्टी के अंदर यह चर्चा चल रही है l

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