प्रातः भ्रमण में आये दिलीप घोष ने पत्रकारों के कई सवालों का खुलकर जवाब दिये l
दिल्ली में चल रहें रस्साकासी पर दिलीप घोष क्या सोच रहें?
हाथी कीचड़ में गिरे तों मेंढक लात मारता है। लेकिन मोदी शाह की जोड़ी है। और वे पुराने साथी हैं। उन्हें अच्छे से जनता हु । लोगों ने जनादेश दिया है। सुशासन देना होगा। इसे कोई न भूले। क्षेत्रीय टीमें हमेशा अपने बारे में सोचती हैं। कई लोगों ने अपने हितों के लिए गठबंधन छोड़ दिया था और खुद वापस आ रहें है।
क्या बिकाशित भारत का सफर थम जाएगा?
मोदी वोट के लिए राजनीति नहीं करते। वह विकास के लिए सरकार चलाते हैं। उन्होंने रोड मैप बनाया। मुझे नहीं लगता कि इन सभी घटनाओं में उस काम में ज्यादा बाधाएं आएंगी। क्योंकि देश की वित्तीय स्थिति अच्छी है। पिछले महीने ढाई लाख करोड़ रुपये में जीएसटी कलेक्शन किया गया था। धन की कोई कमी नहीं है। इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। जो उन्हें रोकते हैं उन्हें अपने क्षेत्रों में जाकर जवाब देना पड़ता है। मुझे साल 2004 याद है। जो लोग वाजपेयी के साथ अधिक सौदेबाजी करते थे, वे बाद में सांप बन गए। इनमें ममता बनर्जी की पार्टी भी थी।
क्या कार्यकर्ताओ का मनोबल फिर से मजबूत हो सकता है? वोट आने पर इस राज्य में ऐसा ही होता है। जो लोग भाजपा करते हैं, वे यह जानकर भाजपा करते हैं। यह लगभग दस साल से चल रहा है। पुलिस पर कोई भरोसा नहीं करता। इसके बावजूद पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी के साथ हैं। 19 तक केंद्रीय बल है।
आप अपना मनोबल बढ़ाएंगे?
मैं सभी जिलों में जाऊंगा। मैं कर्मचारियों से बात करूंगा। मैं आज से यह काम शुरू कर रहा हूं। मैंने इसे पहले किया है। मैं अभी भी करूँगा।
हारे उम्मीदवारों को पार्टी से फोन आए हैं?
नहीं, ऐसा अभी तक कुछ नहीं हुआ है। पहले सरकार बने। स्थिति की समीक्षा करने दें। मेदिनीपुर के सांसद के रूप में आपकी भूमिका सक्रिय थी। अब आप क्या करोगे?
उन्होंने मुझे मेदिनीपुर से बुलाया। वे परेशान हैं। मुझे लगा कि मैं एक उम्मीदवार हूं। मैं जीतूंगा मैं वहां जाऊंगा। मैं बर्दवान जाऊंगा। वहां के मजदूर भी प्रभावित हैं। जब मैं प्रदेश अध्यक्ष था तब मैं पूरे प्रदेश में घूमता था।
पार्टी मुझे वह जिम्मेदारी देती है या नहीं, मेरी भी वही भूमिका होगी।
जब तक मैं राजनीति करता हूं, मेरी भूमिका नहीं बदलेगी। तृणमूल स्टार जीतने वाले उम्मीदवारों को क्षेत्र में देखा जाएगा?
इतिहास इसके विपरीत कह रहा है। मुनमुन सेन, संध्या रॉय, मिमी, नुसरत। लोगों को लालच दिखाया जाता है। भ्रामक से वोट जीत जाते हैं। वोट खत्म होने पर कोई और परवाह नहीं। इसके विपरीत वे कहते हैं कि भाजपा के लोग कहां हैं? हम थे। लेकिन काम की जिम्मेदारी हमारी नहीं है। यह सरकार की जिम्मेदारी है। अब लोगों को इसे समझना चाहिए। पार्टी में गुस्सा बढ़ रहा है? वोट खोना। लेकिन संगठन पश्चिम बंगाल में संगठन कमजोर हुआ है। कर्मी बाहर नहीं गए। मैंने खुद मेदिनीपुर में पिछली बार बूथ स्तर तक संगठन का गठन किया था। उन्होंने वहां संसद कोटे के पैसे से काफी काम किया। लोग खुश थे। मेरी तरफ से सभी पार्टी के लोग थे। किसी भी कारण से, पार्टी ने मुझे वहां नहीं दिया। वह फैसला गलत साबित हुआ। पार्टी का संगठन ढीला हो गया है। हमें इस बार पहला व्यक्ति नहीं मिला। इसलिए हमारे वोट हर जगह कम हो गए हैं और हार गए हैं। अल्पसंख्यक वोट
भाजपा की राजनीति देश के हित में है। केंद्रीय गरीब कल्याण योजना का सबसे ज्यादा फायदा अल्पसंख्यक लोगों को हुआ है। लेकिन उसने हमें वोट नहीं दिया। उसने नहीं दिया। हमने कोशिश की कि भाजपा सबके लिए काम कर रही है। नहीं दिया तों नहीं दिया क्या हुआ हमें सब के लिए काम करना है l