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चुनाव से पहले कई श्रमिकों की उड़ी नींद, बल्लभपुर पेपर मिल प्रबंधन ने खड़े किये हाथ

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राष्ट्रीय राजमार्ग की नाकेबंदी और लंबे आंदोलन के बाद भी अंत में नहीं बचा पाए पेपर मिल को। पेपर मिल के प्रभारी मिल अधिकारियों ने बताया कि उनके पास पेपर मिल चलाने की वित्तीय क्षमता नहीं है। इस घोषणा के बाद बल्लभपुर क्षेत्र के हजारों लोगों में खामोशी छा गयी है। पेपर मिल खोलने का आंदोलन एक पल में विफल होता नजर आया। लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी खबरों से हजारों परिवार निराशा में डूब गए हैं l राज्य सरकार के श्रम विभाग की त्रिपक्षीय बैठक में बातचीत से यह निराशा काफी बढ़ गयी। राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक से बात करते हुए आसनसोल के पूर्व सांसद और वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू के जिला सचिव बंश गोपाल चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया में तृणमूल और भाजपा की आलोचना की। इस बीच, पेपर मिल बंद होने की जानकारी मिलने पर वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार की दोपहर पेपर मिल गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। बाद में उन्होंने बल्लभपुर चौकी के सामने प्रदर्शन किया और धरने में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि बल्लभपुर पेपर मिल को तुरंत खोला जाए, मिल अधिकारियों को पेपर मिल का उत्पादन फिर से शुरू करना चाहिए। इसके साथ ही उनका दावा है कि इस पेपर मिल के खुलने को लेकर अनिश्चितता है, लेकिन अगर मिल अधिकारी गुपचुप तरीके से यहां से पार्ट्स हटाना चाहते हैं तो इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि श्रमिकों को बकाया भुगतान के साथ पेपर मिलों को फिर से खोला जाना चाहिए। उन्होंने भविष्य में बैठक पर निर्णय लेने की मांग की।

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