विशेष संवाददाता, कोलकाता:
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी अचानक साधुसंत पर क्यों हमलावर हो गईं? इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है l कुछ लोगों का कहना है कि इस बार मुस्लिम वोट का एक हिस्सा लेफ्ट-कांग्रेस के पास लौट सकता है। यह जानते हुए कि वोट जा रहा है, यह स्वर उठाई, ताकि आने वाले दौर में इसे रोका जा सके। कुछ लोगों का मानना है कि ममता के हमले से बीजेपी को फायदा हुआ है l ममता का बयान पार्टी के एक वर्ग को समझ नहीं आ रहा है l आपस में बातचीत में उन्हें लगता है कि सनातन धर्म को ठेस पहुंची होगी l ये शब्द कहकर मुख्यमंत्री ने वास्तव में भाजपा को हथियार सौंप दिया है। बीजेपी पहले से ही हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है l ममता का बयान और भी जोरदार हो सकता था l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार दो दिनों तक इस मुद्दे पर ममता और तृणमूल के खिलाफ प्रचार करने का मौका मिला है l उन्हें डर है कि मोदी बाकी सभाओं में भी यह अभियान जारी रखकर हिंदू वोट बटोरने का काम करेंगे l इस चुनाव में भर्ती भ्रष्टाचार, राशन घोटाला, कोयला और गाय तस्करी मामले और संदशखालि के कारण तृणमूल कांग्रेस पहले से ही काफी दबाव में है। उनकी पार्टी का एक हिस्सा सोचता है कि उन्होंने संतों के एक समूह पर हमला किया और दया मांगी। शनिवार को कामारपुकुर सभा से ममता ने मुर्शिदाबाद के भारत सेवाश्रम संघ के कार्तिक महाराज पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने राजनीति के जरिए देश को बर्बाद कर दिया है l साथ ही उन्होंने आसनसोल के रामकृष्ण मिशन और इस्कॉन के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली से बीजेपी को वोट देने का आदेश है l संत ऐसा क्यों करते हैं? ममता के इस बयान पर संतों में तीखी प्रतिक्रिया हुई l संबंधित शिकायत स्वीकार नहीं कर सके। सोमवार को कार्तिक महाराज ने ममता बनर्जी को कानूनी नोटिस भेजकर या तो सबूत देने या सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा। लेकिन अपने पुराने रुख पर अड़ी ममता ने चुनावी सभा से फिर सुर बुलंद कर दिए l और ममता की शिकायत मोदी का सबसे अच्छा हथियार बन गई l रविवार को बंगाल में चुनाव प्रचार करते हुए नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस अपने मुस्लिम वोट बैंक की खातिर संतों का अपमान कर रही है l सोमवार को झारग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने संतों के एक समूह पर ममता के हमले की एक बार फिर कड़ी आलोचना की l साथ ही उन्होंने रामकृष्ण मिशन के उनके साथ घनिष्ठ संबंध पर प्रकाश डाला l और इसी सिलसिले में उन्होंने सिलीगुड़ी के पास रामकृष्ण मिशन पर उपद्रवियों के हमले के खिलाफ भी हुंकार भरी l कुल मिलाकर उन्होंने सनातन हिंदुओं के वोटों को मजबूत करने के लिए मौके का पूरा फायदा उठाया।बंगाल में हिंदू वोट बहुसंख्यक हैं l अगर इस मुद्दे पर उनका एक बड़ा हिस्सा बीजेपी की तरफ चला गया तो ममता की पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है l हालांकि ममता ने कहा उन्होंने किसी संस्था के खिलाफ कुछ नहीं कहा l दो लोगों के खिलाफ कहा है l लेकिन शनिवार को उन्होंने जो कहा उससे बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है l