बिहार चुनाव परिणाम ने बंगाल में मचाई सियासी खलबली, PM मोदी ने सेट किया टार्गेट, TMC भी कूदी मैदान में

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👉 प्रधानमंत्री का बड़ा संदेश- पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगल राज’ का जड़ से होगा सफाया

👉 तृणमूल कांग्रेस का दावा- बंगाल की जनता फिर नकारेगी भाजपा को

कोलकाता (प्रेम शंकर चौबे) : बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। रिकॉर्ड कायम करते हुए एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज कर ली है। उसके खाते में 200 से ज्यादा सीटें आई हैं। इसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। अभी तक के जीत के सभी रिकॉर्ड टूटने पर भाजपा का उत्साह भी चरम पर है। इससे भी अहम बात यह है कि बिहार के नतीजे बीजेपी के लिए आगामी चुनावों में मनोवैज्ञानिक बढ़त भी दिला सकते हैं। खासकर बंगाल में, जिस पर चर्चा और दावे भी शुरू हो गए हैं।

बिहार में एनडीए की जीत और बीजेपी की उम्दा प्रदर्शन के साथ ही बंगाल की सियासत में खलबली-सी मच गई है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। यहां विधानसभा की 294 सीटें हैं, बहुमत 147 सीटों का है। फिलहाल, SIR का कार्य तेजगति से जारी है। 9 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होनी है। दावा है कि फाइनल वोटर लिस्ट जारी हो जाने के बाद ही निर्वाचन आयोग बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा करेगा। लेकिन, चुनावी बयार का बहना शुरू हो गया है। बिहार चुनाव परिणाम ने इसकी पृष्ठभूमि लिख डाली है।

बिहार में एनडीए को मिले ऐतिहासिक जनादेश के बाद शुक्रवार की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने मंच पर आते ही ‘छठी मैया की जय’ के नारों के साथ अपना संबोधन शुरू किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को जीत की बधाई दी। इस दौरान उन्होंने अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर भी भाजपा के रोडमैप का जिक्र किया। साथ ही बंगाल की सीएम व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी पर निशाना साधा।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को बड़ा संदेश देते हुए कहा कि बिहार की जनता ने बता दिया कि बिहार के बाद अब बंगाल की बारी है। पीएम ने कहा कि गंगा जी बिहार से बहकर बंगाल तक पहुंचती है, बिहार ने बंगाल में भाजपा की विजय का रास्ता बना दिया है। जिस तरह से बिहार में ‘जंगल राज’ का सफाया हुआ है, उसी तरह से भाजपा पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगल राज’ उखाड़ फेंकेगी। यहां गौर करने लायक बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहली मर्तबा तृणमूल कांग्रेस की सरकार की तुलना बिहार के लालू यादव वाली ‘जंगल राज’ से की है।

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बंगाल में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने तो नया नारा ही गढ़ दिया है- ‘बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है’। अधिकारी के इस नारे का विश्लेषण करें तो यह साफ है कि आने वाले दिनों में बीजेपी इस बात का दावा करती दिख सकती है कि पूर्वी भारत में हवा उसके पक्ष में है। यह मनोवैज्ञानिक बढ़त टीएमसी शासित बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा सकती है। खासकर इसका असर अनडिसाइडेड वोटर्स पर भी पड़ सकता है।

बिहार की जीत के बाद बीजेपी ‘ओबीसी-ईबीसी और महिला वोटर’ के मॉडल को बंगाल में भी लागू करती दिख सकती है। कुल मिलाकर बिहार के नतीजे पश्चिम बंगाल में बीजेपी को मनोवैज्ञानिक बढ़त, अच्छा ग्राउंड मैनेजमेंट और नई रणनीतिक मदद दिला सकते हैं। और, बंगाल में ये उनके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।

बिहार की सियासी ताकत बीजेपी के मिशन बंगाल को नई धार दे सकती है। अपनी बूथ मशीनरी, डेटा मैनेजमेंट और संगठनात्मक ढांचे की ताकत को बंगाल में लागू कर सकती है। खासतौर पर बिहार से सटे बंगाल में। इससे ग्राउंड लेवल पर उसकी पकड़ मजबूत हो सकती है। ओबीसी, ईबीसी और महिला वोटर के पैटर्न को बीजेपी बंगाल में लागू कर मतुआ, राजवंशी और प्रवासी श्रमिकों पर असर डाल सकती है।

इसके अलावा विपक्ष की हार का भी मनोवैज्ञानिक असर बंगाल तक देखा जा सकता है। बंगाल में बीजेपी को महागठबंधन की कमजोरी और इसके नेतृत्व को लेकर नैरेटिव की लड़ाई में बढ़त मिल सकती है। कुल मिलाकर बिहार के नतीजे बीजेपी को बंगाल के रण लिए ना सिर्फ ताकत देंगे बल्कि संगठनात्मक, सामाजिक और सियासी मोर्चों पर पार्टी को फायदा पहुंचा सकते हैं।

बिहार चुनाव परिणाम ने बंगाल की सियासत में किस कदर खलबली मचाई है? इसकी बानगी उस समय देखने को मिली, जब तृणमूल प्रवक्ता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुणाल घोष को मैदान में कूदना पड़ा। घोष ने सोशल मीडिया पर अपने विस्तृत पोस्ट में 5-6 प्वाइंट्स में यह उल्लेखित किया कि ‘बिहार चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, बंगाल की राजनीति पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’ बंगाल की जनता अगले चुनाव में भी मातृभूमि और जनता के विकास पर भरोसा करेगी, जैसा कि पहले करती रही है। बंगाल की जनता भाजपा को फिर से नकार देगी।

सुबह से ही नतीजों का रुझान देखने के बाद, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी ऐलान कर दिया कि बिहार के बाद भाजपा का अगला निशाना बंगाल है। उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में यह भी कहा कि ‘पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी सरकार है, रोहिंग्या सरकार है।’ इसके जवाब में, बंगाल की शिशु कल्याण व नारी विकास मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा, ‘भाजपा एक विष वृक्ष है। भाजपा के बड़े-छोटे नेता मुँह खोलते ही ज़हर फैला रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बंगाल का अपमान करके हद कर दी है। वह बंगाल, जहाँ सभी धर्मों, सभी जातियों और सभी वर्गों के लोग शांति से रहते हैं, को रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों का राज्य कह रहे हैं। बंगाल की जनता इन सब अपमानों को बर्दाश्त नहीं करेगी। बंगाल आने वाले दिनों में इसका कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है। भाजपा दिन गिनना शुरू कर दे।’

बहरहाल, बिहार में चुनावी गतिविधियां थमते ही पूरे देश की राजनीति का फोकस अब बंगाल पर केंद्रित हो गया है। टीएमसी के ही एक सांसद ने तो इंडी गठबंधन का चेहरा तक बदलने की मांग कर डाली है। निर्वाचन आयोग फिलहाल SIR की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में जुटा है। जबकि, राजनीतिक दलों के बीच जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। गुजरते वक्त के साथ सियासी दाव-पेंच और भी प्रबल होंगे। ऐसे में सियासत किस ओर करवट बदलेगी? यह देखना दिलचस्प रहेगा।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव रिजल्ट 2021

पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 292 सीटों पर 8 चरणों मतदान हुआ। पहला चरण 27 मार्च को जबक‍ि आठवें चरण का मतदान 29 अप्रैल को हुआ। वोटों की गिनती 2 मई को हुई। चुनाव परिणाम में तृणमूल कांग्रेस ने हैट्रिक लगाई। यानी लगातार तीसरी बार सत्ता में आई। वहीं भाजपा उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाई। हालांकि, 2016 विधानसभा चुनाव में वह केवल तीन सीट जीती थी। इस बार वह 77 सीट जीती। वहीं कांग्रेस और लेफ्ट का पत्ता साफ हो गया। इनका खाता तक नहीं खुला। चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने ‘खेला होबे’ का नारा दिया था। और, नतीजों को देखकर लगा कि बंगाल में ‘खेला होये गेछे’ यानी खेला हो गया। खेला भी ऐसा हुआ कि ममता ने चुनावी दंगल में अकेले भाजपा समेत अन्य दलों के धुरंधरों को चित कर दिया था।

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ghanty

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