सिंडिकेट के प्रहार से उबर पाएगी ECL? नुकसान होने पर खुली नींद, आनन-फानन में बुलाई बड़ी बैठक

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👉 कंपनी के रोड सेल से लेकर कोयला आपूर्ति पर पड़ा व्यापक प्रभाव

👉 CVC की सख्ती के बाद अब CVO ने भी बढ़ा दी है निगरानी

आसनसोल : बंगाल-झारखंड बार्डर पर एक्टिव कोल सिंडिकेट ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक यूनिट ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) को सॉफ्ट टार्गेट बना रखा है। सिंडिकेट राज ने ईसीएल को भारी नुकसान पहुंचाया है। कंपनी का रोड सेल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। यही नहीं कोयला आपूर्ति भी बाधित हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की बड़ी कार्रवाई के बाद मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) ने भी अब सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। कंपनी की मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) दीप्ति पटेल ने निगरानी कड़ी कर दी है। विभागीय स्तर पर शुरू हुई आंतरिक कार्रवाई के बाद अब ईसीएल प्रबंधन की भी नींद टूटी है। प्रबंधन अब शायद जागने की कोशिश में जुट गया है। इसीलिए ईडी की कार्रवाई के एक सप्ताह के अंदर ही ईसीएल प्रबंधन ने आनन-फानन में बड़ी बैठक बुलाई है।

बंगाल-झारखंड में कोल सिंडिकेट के मास्टरमाइंड, ऑपरेटरों, मेंबरों के 44 ठिकानों पर ईडी द्वारा बीते हफ्ते की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद से ही ईसीएल पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है। सीआईएसएफ की भूमिका पर असंतोष जाहिर किया जा रहा है। ऐसे में अपनी साख को बचाने के लिए ईसीएल प्रबंधन भी अब नींद से जागने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रीय संपत्ति की खुलेआम मची लूट को रोकने की कोशिश चल रही है। कंपनी की रोड सेल और कोल सप्लाई को सुचारू रखने के लिए प्रबंधन ने शुक्रवार (28 नवंबर) को एक जरूरी बैठक बुलाई है। बैठक का नाम कंज्यूमर मीट (उपभोक्ता बैठक) रखा गया है, जो नॉन पावर एफएसए कंज्यूमरों को लेकर होने वाली है। बैठक ईसीएल मुख्यालय सांकतोड़िया के संकल्प हॉल में सुबह 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक चलेगी। बैठक ईसीएल के महाप्रबंधक (एम एंड एस) ने बुलाई है, जिसमें ईसीएल सीएमडी के साथ ही पूरे निदेशक मंडली के मौजूद रहने की प्रबल संभावना है। नॉन-पावर एफएसए में ऐसे तमाम उपभोक्ता आते हैं, जो कोयला आपूर्ति और रोड सेल से जुड़े हुए हैं। इसमें डीओ होल्डर भी शामिल हैं।

ईसीएल सूत्रों ने बताया कि करीब 4-5 माह पहले से कोयला माफियाओं के सिंडिकेट ने अपना तंत्र इस क्षेत्र में कायम कर लिया थाी। लोकल अथॉरिटी के सहयोग से पूरा गोरखधंधा ऑपरेट किया जा रहा था। ईसीएल के सातग्राम-श्रीपुर एरिया, कुनुस्तोड़िया एरिया, सोनपुर बाजारी एरिया, काजोड़ा एरिया, झांझरा प्रोजेक्ट एरिया, पांडवेश्वर एरिया, सोदपुर एरिया और सालानपुर एरिया में सिंडिकेट के गुर्गे खुलेआम गुंडा टैक्स वसूलने लगे थे। इन एरियाओं की कोलियरियां, ओसीपी और परित्यक्त खदानों में सिंडिकेट का एकछत्र राज कायम हो गया था। ऐसे में डीओ होल्डरों से लेकर वाहन मालिकों से बगैर रंगदारी वसूले कोयले की लोडिंग औप पासिंग ही नहीं हो पाती थी। डीओ होल्डरों से प्रतिटन दो हजार रुपये करके वसूला जाता था, जबकि वाहन मालिकों से इच्छानुसार 6 से 8 हजार रुपए तक लिए जाते थे। ऐसे में डीओ होल्डरों से लेकर वाहन मालिकों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ता था। दबंगई की इस वजह से कंपनी का रोड सेल धीरे-धीरे बुरी तरह से प्रभावित होने लगा। कोयला उठाने के लिए सड़क मार्ग के बजाए रेल मार्ग ज्यादा सुविधाजनक हो गया। रैक सेल बढ़ने और रोड सेल घटने से कंपनी पर भी इसका प्रभाव अब दिखने लगा है।

इधर, डीओ होल्डरों से लेकर वाहन मालिकों तथा कोयले के वैध कारोबारियों ने भी ईसीएल प्रबंधन को मौखिक चेतावनी दे डाली है कि अगर इसी तरह की स्थिति बनी रही और प्रबंधन ने कोई कदम नहीं उठाया तो वे लोग कोयला उठाना ही बंद कर देंगे। इस चेतावनी ने प्रबंधन की आंखें खोल दी है। उदाहरण के तौर पर बता दें कि रोड सेल के लिए ईसीएल के कोयले की बीडिंग 4100 रुपए प्रतिटन, जबकि रैक सेल के लिए वही कोयला 2700 रुपया प्रतिटन उपलब्ध हो रहा था। इसके बाद रंगदारी व गुंडा टैक्स रोड सेल में अलग से लग रहा था, जिस वजह से रैक सेल बढ़ गया और रोड सेल घटता चला गया। दावा है कि रोजाना 100 रैक तक लगने लगे, जबकि रोड सेल घटकर महज कुछ हजार टन में सीमित हो गई थी। ट्रांसपोर्ट ऑनर्स एसोसिएशन भी इस परिस्थिति से वाकिफ था, लेकिन उसके पास हाथ मलने के अलावे कोई चारा नहीं था। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय भी बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। वाहनों के मालिकों से लेकर ड्राइवर-खलासी परेशान हो चुके थे। यही वजह रही कि तीन-चार माह से रोड सेल से सभी रैक सेल में कन्वर्ट होने लगे थे। लेकिन, समस्या तब और विकराल हो गई, जब रैक की उपलब्धता कम होने लगी। कोयला डिस्पैच थम सा गया।

शिल्पांचल के कुल्टी, सालानपुर, बाराबनी, रानीगंज, पंजाबी मोड़, काजोड़ा, अंडाल और पांडवेश्वर के डीओ होल्डरों और वाहन मालिकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन लोगों ने आपसी बैठक की है। ईसीएल प्रबंधन को पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। ऐसी परिस्थित में व्यापार करना संभव नहीं है। उनलोगों ने ईडी अधिकारियों से भी मिलने का समय मांगा है। सीजीओ कॉम्प्लैक्स जाकर ईडी अधिकारियों को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। अगर इसके बावजूद स्थित में सुधार नहीं हुआ तो वे लोग कोल डिस्पैच से हाथ खींच लेंगे।

इधर, ईडी की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य सतर्कता आयुक्त के निर्देश के बाद ईसीएल की मुख्य सतर्कता अधिकारी दीप्ति पटेल ने भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। कोलियरियों के एजेंट-मैनेजर व सेल्स मैनेजर को अलर्ट किया गया है। इसके साथ ही सीआईएसएफ भी कमर कस कर अब मैदान में उतर चुकी है। कंपनी की निजी सुरक्षा टीम को भी कोताही बरतने पर कड़े एक्शन की चेतावनी दी गई है। बता दें कि एजेंट-मैनेजर, सेल्स मैनेजर और सीआईएसएफ-सुरक्षा अधिकारियों के ही जिम्मे पूरी व्यवस्था होती है। ऐसे में उनके बीच के लिकेज प्वाइंट की पहचान शुरू हो गई है, ताकि व्.वस्था को मजबूत करने के लिए उनसे सक्षमता से निपटा जा सके।

सनद रहे कि ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के सेक्शन 17 के तहत 21-22 नवंबर के दौरान पश्चिम बंगाल और झारखंड में 44 जगहों पर कोऑर्डिनेटेड बड़ी सर्च कार्रवाई की। यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर कोयले की गैर-कानूनी माइनिंग, चोरी, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और बिक्री के संबंध में की गई। सर्च कार्रवाई के दौरान, 14 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कैश और ज्वेलरी/सोना, साथ ही बड़ी मात्रा में सबूत मिले, जिसमें कोयला सिंडिकेट से जुड़ी कई प्रॉपर्टी डीड और ज़मीन की खरीद-बिक्री से जुड़े एग्रीमेंट, और कई डिजिटल डिवाइस, उन लोगों द्वारा कंट्रोल की जाने वाली एंटिटीज़ के अकाउंट बुक वगैरह शामिल हैं।

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