कोलकाता/आसनसोल (प्रेम शंकर चौबे) : शहरी इलाकों में संस्थागत विरोध को दूर करने और ‘घावों’ को भरने के लिए तृणमूल कांग्रेस अब संगठन के बाद नगर निकाय प्रशासन में भी बड़ा फेरबदल करने जा रही है। संगठनात्मक और प्रशासनिक ‘प्रदर्शन’ को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने नवंबर में तृणमूल द्वारा संचालित अधिकांश नगर निकायों में नगर प्रमुख के पदों (जैसे मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरमैन और वाइस चेयरमैन) पर नए चेहरों को लाने का फैसला किया है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि इस फेरबदल की सूची में आसनसोल भी शामिल है। बड़ा सवाल यह है कि तो क्या विधान उपाध्याय की छुट्टी होगी और आसनसोल को नया मेयर मिलेगा?
लोकसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा के आधार पर निर्णय
2024 के लोकसभा चुनाव में कोलकाता नगर निगम सहित राज्य के विभिन्न नगर निकाय क्षेत्रों में भाजपा को अच्छे वोट मिले थे। तृणमूल पार्षद होने के बावजूद गेरुआ कैंप ने कई वार्डों में बढ़त हासिल की थी। कोलकाता नगर निगम सहित राज्य की अधिकांश नगर निकायों में तृणमूल सत्ता में है। नगर निगम स्तर पर जोड़ाफूल के इस दबदबे के बावजूद, तृणमूल शीर्ष नेतृत्व के विश्लेषण से पता चला है कि लोकसभा चुनावों में भगवा खेमे की ‘सफलता’ नगर निकाय के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और पार्षदों के एक वर्ग की उदासीनता, गुटीय संघर्ष और निष्क्रियता के कारण है। जिन नगर निकायों में लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन देखने को मिला, वहाँ जोड़ाफूल नेतृत्व अगले कुछ दिनों में मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के पदों में बदलाव करने वाला है।
पार्टी नेताओं के प्रदर्शन के विश्लेषण में जुटे अभिषेक बनर्जी
पार्टी महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी लंबे समय से नगर निगम स्तर पर पार्टी के लोकसभा चुनाव परिणामों का विश्लेषण कर रहे हैं। तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ चर्चा के बाद आने वाले दिनों में राज्य की कई नगर निकायों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बदलने वाले हैं। सूत्रों का दावा है कि कोलकाता नगर निगम में अभी यह बदलाव होने की संभावना नहीं है। जोड़ाफूल नेतृत्व के एक वर्ग ने देखा है कि कोलकाता सहित कई नगर निगमों में 2024 के लोकसभा चुनावों में अपेक्षित परिणामों के लिए पार्टी के कुछ नेता ज़िम्मेदार हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद कोलकाता और आसनसोल में अग्निपरीक्षा
नगर पालिका के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों ने अपने चुनावों में जिस तरह कड़ी मेहनत की, लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ी। इन नेताओं को इस अड़ियल रवैये की कीमत चुकानी पड़ेगी। गौरतलब है कि अभिषेक ने हाल ही में अपने एक्स-हैंडल पर एक पोस्ट में इस मुद्दे पर अपनी खुलकर राय भी व्यक्त की थी। कोलकाता नगर निगम और आसनसोल नगर निगम के चुनाव 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले हैं। तृणमूल सूत्रों ने कहा कि उस समय कोलकाता और आसनसोल में टिकट वितरण करते समय 2024 के लोकसभा चुनावों के प्रदर्शन और 2026 के विधानसभा चुनावों के परिणामों को ध्यान में रखा जा सकता है। अभिषेक ने 2023 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान उम्मीदवारों के चयन में एक अभिनव पहल की। उन्होंने पंचायत चुनाव से पहले नवज्वार यात्रा की। नवज्वार यात्रा के दौरान स्थानीय स्तर पर कैंपों की व्यवस्था भी की गई थी, ताकि लोगों की राय ली जा सके कि वे ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के सदस्यों के रूप में किसे देखना चाहते हैं?
प्रदर्शन में ढिलाई बरतने वालों का कटेगा टिकट
तृणमूल खेमे में आए कई लोगों ने अपनी राय दी कि वे किस तरह के लोगों को उम्मीदवार के रूप में देखना चाहते हैं। इसी तरह, कोलकाता नगर निगम और आसनसोल नगर निगम के अगले चुनाव से पहले, लोगों से यह राय ली जा सकती है कि वे किस वार्ड में किसे पार्षद के रूप में देखना चाहते हैं। तृणमूल सूत्रों के अनुसार, इसी आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जा सकता है। तृणमूल सूत्रों के अनुसार, इस उम्मीदवार चयन के माध्यम से, कोलकाता और आसनसोल में ऐसे पार्षद जो लोगों को उचित सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, जिनके खिलाफ विभिन्न शिकायतें हैं, और लोकसभा या विधानसभा चुनावों में ढिलाई बरतने वाले पार्षदों को हटाया जा सकता है।
पार्टी संगठनों के पदों में हाल ही में किए गए बदलाव
फिलहाल, जोड़ाफूल का शीर्ष नेतृत्व कोलकाता को छोड़कर आसनसोल और सिलीगुड़ी सहित राज्य की अन्य नगर निगमों में भी प्रदर्शन के आधार पर यह फेरबदल करने पर विचार कर रहा है। अभिषेक बनर्जी कई बार दोहरा चुके हैं कि संगठनात्मक पदाधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों का मूल्यांकन प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा। जिनका प्रदर्शन खराब होगा, उन्हें हटना होगा। इसी मानदंड पर पिछले कुछ महीनों में तृणमूल के संगठनात्मक जिलाध्यक्ष और चेयरमैन के पदों में फेरबदल किया गया है। इसी मानदंड पर संगठनात्मक ब्लॉक-नगर स्तर पर तृणमूल अध्यक्षों के पदों में फेरबदल किया गया है। इसी तरह, तृणमूल के श्रमिक संगठन आईएनटीटीयूसी, महिला, युवा और छात्र संगठनों के जिला स्तर पर भी बदलाव हुए हैं।
टीएमसी के तीन शिक्षक संगठनों को किया गया भंग
इसी कारण कुछ दिन पहले तृणमूल के तीन शिक्षक संगठनों को भंग कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार, तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व ने देखा कि वेबकूपा, माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक संगठनों में जिन्हें जिम्मेदारी दी गई थी, वे उपयुक्त नहीं थे। इसीलिए इन तीनों संगठनों को भंग कर दिया गया है। कुछ दिनों बाद इन तीनों संगठनों का पुनर्गठन किया जाएगा। इसके अलावा, संगठनात्मक जिलों के ब्लॉक-नगर स्तर पर फेरबदल, जिसकी अभी घोषणा नहीं हुई है, जल्द ही घोषित होने वाला है। त्योहारी सीजन समाप्त होने के बाद अभिषेक कोलकाता के दो संगठनात्मक जिलों के नेताओं के साथ अलग से बैठक कर सकते हैं।
विधानसभा चुनाव के पहले पश्चिम बर्दवान पर पार्टी की पैनी नजर
अगले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की पैनी नजर पश्चिम बर्दवान जिले में है। खासकर आसनसोल शहर में। हाल ही में हुए सांगठनिक बदलाव में इसकी बानगी भी दिखी थी। अब पार्टी जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर रही है। इसमें विशेष रूप से आसनसोल नगर निगम और सतारूढ़ विधायकों के प्रदर्शन की समीक्षा की जा रही है। विधानसभा चुनाव के पहले कुछ सीटींग एमएलए की टिकट कटनी तय है, जबकि कुछ एमएलए की सीटों में बदलाव किए जाएंगे। कुल्टी और आसनसोल (दक्षिण) विधानसभा क्षेत्र को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया गया है। इसी तरह से दुर्गापुर (पश्चिम) सीट पर भी विशेष नजर है। बता दें कि इन तीनों सीटों पर ही भाजपा को जीत मिली थी। आसनसोल नगर निगम में मेयर के अलावे दो-दो डिप्टी मेयर और एक चेयरमैन होने के बावजूद टीएमसी इनके प्रदर्शनों को संतोषजनक नहीं मान रही है। ऐसे में नवंबर माह में आसनसोल शिल्पांचल में सत्तारूढ़ पार्टी कई बदलाव करने की योजना पर कार्य कर रही है।












