आसनसोल : आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाए गए कोयला कर्मचारी को शुक्रवार को आसनसोल स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में सजा सुनाई गई। स्पेशल सीबीआई जज अरिंदम चट्टोपाध्याय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाए जाने पर ईसीएल कर्मी सुखमय राणा को 3 साल की कैद तथा 15 लाख का जुर्माना की सजा सुनाई।
कोर्ट सूत्रों के मुताबिक, दोषी हीरापुर कोलियरी में पंप ऑपरेटर था। साल 2006 में कोलकाता सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर 1 करोड़ 15 लाख जब्त की थी। कोर्ट में 66 गवाहों ने गवाही दी। सीबीआई की ओर से वकील राकेश कुमार ने पैरवी की।
👉 नकली लॉटरी बेचने में फरीदपुर के तिलाबनी से 2 गिरफ्तार
नकली लॉटरी बेचने वाले गिरोहों के खिलाफ CID का अभियान तेज हो गया है। सीआईडी ने दुर्गापुर के फरीदपुर के तिलाबनी इलाके से दो युवकों- शेख अली हुसैन (35) और समर बाउरी (25) को नकली लॉटरी बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इन पर मुख्य रूप से झारखंड में फर्जी लॉटरी टिकट बेचने का आरोप है। गिरफ्तार आरोपियों को दुर्गापुर अनुमंडल न्यायालय में पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया। आरोपियों को अगली बार 8 दिसंबर को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा।
👉 रायना बस स्टैंड से भी एक गिरफ्तारी, भारी मात्रा में नकली लॉटरी जब्त
वहीं, दूसरी ओर पूर्व बर्दवान के रायना में बस स्टैंड से सटे एक लॉटरी की दुकान पर सीआईडी ने छापा मारा। इस कार्रवाई में जांचकर्ताओं ने दुकान से भारी मात्रा में फर्जी लॉटरी टिकट बरामद किए और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजकुमार ढाली उर्फ राजू के रूप में हुई है, जिसे सीआईडी ने रायना पुलिस थाने को सौंप दिया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार राजकुमार ढाली मूल रूप से हावड़ा के जगतबल्लवपुर का रहने वाला है, जो हाल ही में रायना बस स्टैंड इलाके में रहकर लॉटरी बेच रहा था। अब जांचकर्ता यह पता लगाने में जुटे हैं कि इन जाली टिकटों का मुख्य सप्लायर कौन है और क्या गिरफ्तार आरोपी किसी बड़े रैकेट या सिंडिकेट से जुड़े हुए हैं?
👉 दुर्गापुर में रिटायर बैंक कर्मचारी से 10 लाख रुपये की साइबर ठगी
दुर्गापुर में एक सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी देबाशीष सरकार को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाकर उनसे 10 लाख रुपए हड़प लिए। पीड़ित ने लिखित शिकायत दर्ज कराने और संबंधित खातों की जानकारी देने के बावजूद, स्थानीय पुलिस प्रशासन पर कार्रवाई में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है।
कोकओवन थाना क्षेत्र के नोडिहा दक्षिणायान निवासी देबाशीष सरकार 2021 में एक राष्ट्रीयकृत बैंक से सेवानिवृत्त हुए थे। अपनी गाढ़ी कमाई को सुरक्षित रखने के इरादे से उन्होंने यह राशि बैंक खाते में रखी थी। इसी वर्ष 23 अक्टूबर को उनके मोबाइल पर एक लिंक आया, जिस पर उनके पूर्व बैंक का लोगो लगा हुआ था। लिंक में ऑनलाइन सुरक्षित निवेश का आश्वासन दिया गया था। अपने बैंक का लोगो देखकर उन्होंने ऑनलाइन साइट के माध्यम से अपना जीवन प्रमाण पत्र फॉर्म भरना शुरू कर दिया। इसके तुरंत बाद उन्हें एक फोन आया, जिसमें जालसाजों ने आश्वासन दिया कि उनका काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। इस बातचीत के खत्म होते ही उनके बैंक खाते से दो चरणों में पाँच-पाँच लाख रुपये, यानी कुल ₹10 लाख निकाल लिए गए।
👉 बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधन विवाद में आसनसोल अदालत ने दिया बड़ा निर्णय
बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से जुड़े विवाद पर आसनसोल अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रबंधन के अधिकारों पर स्पष्टता दे दी है। शुक्रवार को इस निर्णय की विस्तृत जानकारी देते हुए पूर्व सचिव सुरेंद्र सिंह के अधिवक्ता दिव्येंदु घोष ने अदालत परिसर में संवाददाताओं को बताया कि न्यायालय ने पिछले वर्ष दिए गए अपने ही आदेश को बरकरार रखते हुए मौजूदा विवादित प्रबंधन समिति को अवैध करार दे दिया है। अधिवक्ता घोष ने बताया कि वर्ष 2023 में जूनियर डिवीजन कोर्ट ने गुरुद्वारा प्रबंधक समिति में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इस आदेश का लाभ तत्कालीन सचिव सुरेंद्र सिंह को मिला था। किंतु इस निर्णय के विरुद्ध जसविंदर सिंह और उनके समर्थकों ने सेकंड कोर्ट में अपील दायर की।
गुरुवार को आए फैसले में न्यायालय ने जूनियर डिवीजन कोर्ट के पूर्व आदेश को ही सही मानते हुए अपील को खारिज कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जसविंदर सिंह एवं उनके साथियों द्वारा वर्ष 2023 में कराया गया चुनाव अवैध है। चुनाव के पश्चात गठित समिति को भी कानून की दृष्टि में मान्य नहीं माना गया है। कोर्ट ने कहा कि उक्त समूह को गुरुद्वारा प्रबंधन से संबंध रखने या किसी भी प्रकार से संचालन करने का कोई अधिकार नहीं है। इस फैसले ने एक लंबे समय से चले आ रहे विवाद को नई दिशा दे दी है।












