SIR@बंगाल : चुनाव आयोग ने शुरू की नई हेल्पलाइन, हर शिकायत का समाधान 48 घंटे में

unitel
single balaji

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर चुनाव आयोग ने एक अहम कदम उठाया है. आयोग ने SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और इससे संबंधित लोगों के डाउट्स क्लियर करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 1950 लॉन्च किया है. आयोग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस हेल्पलाइन नंबर की मदद से SIR से संबंधित कोई भी जानकारी घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं.

अधिकारी ने कहा कि नागरिकों को बताया गया है कि वे अब वोटर लिस्ट से जुड़े सवाल पूछने और शिकायतें दर्ज कराने के लिए अलग-अलग राज्य और जिला-स्तर की सेवाओं के साथ-साथ इस हेल्पलाइन नंबर के जरिए भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

कई हेल्पलाइन नंबर हैं एक्टिव

अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि SIR कमीशन की देखरेख में एक रूटीन प्रोजेक्ट है. बिहार समेत दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही काम किए गए हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी सही वोटर का नाम लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा. अधिकारी ने बताया कि इस मामले में लोगों को ज्यादा क्लैरिटी देने के लिए और वोटरों का भरोसा बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने कई हेल्प चैनल भी एक्टिव किए हैं.

उन्होंने कहा, “नेशनल कॉन्टैक्ट सेंटर अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक सेंट्रल हेल्पलाइन के तौर पर काम करता है, जो रोज सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक टोल-फ्री नंबर 1800-11-1950 पर चालू रहता है.” उन्होंने आगे कहा कि इलेक्शन से जुड़े मामलों में नागरिकों की मदद के लिए कई ट्रेंड कर्मचारी भी मौजूद हैं.

इसके अलावा आयोग ने लोगों से अपील की कि वे SIR के मामले में जानकारी लेने, फीडबैक देने या कोई शिकायत दर्ज कराने के लिए 1950 हेल्पलाइन और दूसरी सेवाओं का इस्तेमाल करें. आयोग ने हर राज्य और हर जिले को अपने-अपने कॉन्टैक्ट सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं.

बूथ लेवल अधिकारी से कर सकते हैं संपर्क

अधिकारी ने कहा कि नागरिक अपने बूथ लेवल अधिकारी से सीधे संपर्क करने के लिए ECINET प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें. इस प्लेटफॉर्म के जरिए कोई भी व्यक्ति चुनाव अधिकारियों को अपनी समस्या बता सकता है. यह प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों द्वारा दी गई शिकायत को 48 घंटे के अंदर सुना जाए और उसका समाधान किया जाए.

👉 13 BLO के नाम 2002 की वोटर लिस्ट से गायब, जांच शुरू

नदिया जिले के चकदह में 322 बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) में से 13 ऐसे पाए गए हैं जिनके नाम 2002 की मतदाता सूची में शामिल नहीं है। चकदह ब्लाक विकास अधिकारी (बीडीओ) समीरन कृष्ण मंडल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जिन परिवारों के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं हैं, उन्हीं परिवारों के सदस्य बीएलओ के रूप में कार्यरत पाए गए हैं। मामला सामने के बाद निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। मामला सबसे पहले ततला नंबर-1, ग्राम पंचायत के मसरा माठपाड़ा इलाके से उजागर हुआ। यहां विष्णुपुर हरिपुकुर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक और बीएलओ (भाग 91/130) रोनी अधिकारी पर आरोप लगा है कि उनका नाम भी 2002 की मतदाता सूची में नहीं था। बताया गया कि उनके माता-पिता, पुष्पारानी अधिकारी और दुलाल अधिकारी ने 2016 में अवैध रूप से अपने नाम पर दस्तावेज तैयार कराए थे।

बाद में 2018 में रोनी अधिकारी ने कथित रूप से अपने माता-पिता को दस्तावेजों में बड़े भाई-बहन के रूप में दर्शाया था। जैसे ही यह मामला सामने आया, रोनी अधिकारी और उनके परिवार ने विरोधाभासी बयान दिए। परिवार का दावा है कि केवल वे ही नहीं, बल्कि चकदह में ऐसे कई परिवार हैं जिनके नाम पुराने मतदाता रिकार्ड में नहीं हैं, फिर भी उन्हें जिम्मेदारी दी गई है। बीडीओ समीरन कृष्ण मंडल ने बताया कि उन्होंने पूरे मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

ghanty

Leave a comment