गाजा में जंग रोकने को इजराइल तैयार, ट्रंप ने बनाया प्लान, मोदी ने किया स्वागत

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वॉशिंगटन डीसी : इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गाजा में सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। नेतन्याहू ने सोमवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात की।

इसके बाद दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। ट्रम्प ने सीजफायर के लिए 20 पॉइंट का एक प्लान तैयार किया है।

ट्रम्प ने कहा कि अगर हमास इस प्लान को नहीं मानता तो इजराइल के पास उसे खत्म करने का पूरा अधिकार है और अमेरिका इसमें साथ देगा। वहीं, नेतन्याहू ने कहा- गाजा में एक शांतिपूर्ण प्रशासन होगा। हमास के सभी हथियार हटाए जाएंगे और गाजा से इजराइल धीरे-धीरे पीछे हटेगा।

नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि यह काम आसान या मुश्किल तरीके से होगा, लेकिन इसे पूरा जरूर किया जाएगा। अगर हमास इस प्लान को नहीं मानेगा तो इजराइल खुद यह काम पूरा करेगा।

इधर, हमास ने हथियार डालने से इनकार कर दिया। कहा कि हमें प्लान का औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। वहीं, फिलिस्तीनी सरकार ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया है।

ट्रम्प के सीजफायर प्लान के 20 पॉइंट

ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस प्लान में गाजा में युद्ध रोकना, सभी बंधकों को छोड़ना और गाजा में प्रशासन चलाने के लिए एक अस्थायी बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है। इस बोर्ड की अध्यक्षता ट्रम्प करेंगे और इसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी होंगे।

तुरंत युद्ध रोकना- इजराइल और हमास के बीच सहमति बनी तो गाजा में युद्ध तुरंत खत्म होगा।

इजराइल पीछे हटेगा- सहमति से इजराइल अपनी सेनाओं को धीरे-धीरे गाजा से निकाल लेगा।

बंधकों को छोड़ना- हमास 72 घंटे में सभी इजराइली बंधकों को रिहा करेगा, जिनमें जिंदा और मृत दोनों होंगे।

कैदियों की रिहाई- युद्ध खत्म होने पर इजराइल, गाजा के उम्रकैद की सजा काट रहे 250 लोगों और अन्य 1700 कैदियों को छोड़ देगा।

शवों का आदान-प्रदान – हर मृत इजराइली कैदी के बदले 15 मृत फिलिस्तीनी कैदियों के शव लौटाए जाएंगे।

गाजा को आतंक मुक्त बनाना- गाजा से हमास के सारे ठिकाने और हथियार हटाए जाएंगे।

हमास प्रशासन में शामिल नहीं- हमास और अन्य लड़ाके गाजा की सरकार में हिस्सा नहीं लेंगे।

अंतरिम प्रशासन समिति- गाजा के लिए एक अस्थायी तकनीकी समिति बनाई जाएगी, जिसमें योग्य लोग होंगे।

शांति बोर्ड बनेगा- इस बोर्ड की अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प करेंगे, इसमें टोनी ब्लेयर और अन्य देशों के नेता शामिल होंगे।

पुनर्निर्माण योजना- बोर्ड गाजा के विकास और सुधार की योजना बनाएगा और उसका खर्च उठाएगा।

मानव सहायता- गाजा को तुरंत पर्याप्त मदद दी जाएगी।

विशेष व्यापार क्षेत्र- गाजा में खास व्यापारिक क्षेत्र बनाए जाएंगे, जिससे रोजगार बढ़ेगा।

लोगों की आजादी- किसी को गाजा छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा; जो चाहे जा सकता है और लौट सकता है।

सुरक्षा के लिए फोर्सेस- एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल गाजा में सुरक्षा बनाए रखेगा।

पुलिस की ट्रेनिंग- सुरक्षा बल गाजा पुलिस को ट्रेनिंग देंगे और मदद करेंगे।

सीमा सुरक्षा- इजराइल और मिस्र की सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत होगी।

लड़ाई बंद- युद्ध खत्म होने तक हवाई हमले और गोलाबारी रोकी जाएगी।

मानवाधिकार सुनिश्चित- अंतरराष्ट्रीय संगठन गाजा में मदद और सुरक्षा की निगरानी करेंगे।

शांति बातचीत- इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए बातचीत शुरू होगी।

भविष्य की योजना- इस योजना का मकसद गाजा में स्थायी शांति, विकास और बेहतर जीवन लाना है।

दोनों नेताओं ने नहीं लिए मीडिया के सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दोनों नेता बिना मीडिया के सवाल लिए चले गए। ट्रम्प और नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिपोर्टर्स के सवाल नहीं लिए। ट्रम्प ने कहा कि अभी दस्तावेज साइन होने और सब कुछ तय होने तक सवाल लेना ठीक नहीं है। ट्रम्प ने नेतन्याहू से पूछा कि क्या वे कुछ इजराइली पत्रकारों के सवाल लेना चाहेंगे, इस पर नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपके फैसले पर भरोसा करूंगा। इसके बाद रिपोर्टर्स सवाल पूछने लगे, लेकिन दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और वहां से चले गए।

मोदी ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के सीजफायर प्लान का स्वागत किया है। मोदी ने X पर पोस्ट कर कहा कि यह प्लान फिलिस्तीनी और इजराइली लोगों के साथ ही पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता देगा। मोदी ने उम्मीद जताई कि सभी ट्रम्प की पहल का समर्थन करेंगे और संघर्ष को खत्म कर शांति सुनिश्चित करने के प्रयास का समर्थन करेंगे।

इसके अलावा मिस्र, इंडोनेशिया, जॉर्डन, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात समेत आठ इस्लामिक देशों ने भी एक संयुक्त बयान जारी कर ट्रम्प के प्रस्ताव का स्वागत किया। इन देशों के विदेश मंत्रियों की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया कि वे ट्रम्प के नेतृत्व और युद्ध खत्म करने के उनके ईमानदार प्रयासों में विश्वास रखते हैं।

नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी

नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी भी मांगी। उन्होंने ट्रम्प के कहने पर व्हाइट हाउस से कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया। नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- मैंने फोन पर कतर के प्रधानमंत्री से कहा कि इजराइल आतंकवादियों को मार रहा था, कतर को नहीं। हमें हमले में कतर के नागरिक के मरने का दुख है। इजराइली सेना ने 9 सितंबर को दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। हमले में अल-हय्या बच गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक कतर का अधिकारी था। इसके बाद कतर इजराइल से नाराज हो गया था। ट्रम्प ने भी नाराजगी जाहिर की थी।

नेतन्याहू ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन पर दुख जताया

नेतन्याहू ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन और उसके अधिकारी की मौत पर दुख जताया। यह माफी गाजा में शांति वार्ता को फिर से शुरू करने की कोशिश का हिस्सा है, क्योंकि हमले के बाद कतर ने हमास और इजराइल के बीच मध्यस्थता रोक दी थी।

ट्रम्प के लिए 4 वजहों से अहम है कतर…

आर्थिक सौदा- ट्रम्प ने मई 2025 में दोहा विजिट के दौरान कतर से 243.5 बिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपए) की डील की है। इसके तहत कतर एयरवेज, बोइंग से 160 विमान खरीदेगा।

मिलिट्री बेस- कतर में अल उदीद एयर बेस है, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है।

शांति वार्ता में भूमिका- कतर गाजा में इजराइल और हमास के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थ है, जो ट्रम्प की शांति योजना के लिए जरूरी है।

ट्रम्प को गिफ्ट- कतर ने ट्रम्प को 400 मिलियन डॉलर (लगभग 3400 करोड़ रुपए) का बोइंग 747-8 विमान गिफ्ट किया है।

इजराइल को कई देशों का विरोध झेलना पड़ रहा

इजराइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाजा युद्ध की वजह से लगातार आलोचना का सामना कर रहा है। हाल ही में UN महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के डिप्लोमैट्स ने वॉकआउट कर दिया था। हालांकि, दूसरे देशों के उलट अमेरिका मजबूती से नेतन्याहू के साथ खड़ा है। ट्रम्प साफ कह चुके हैं कि वे फिलिस्तीन को देश की मान्यता नहीं देंगे।

इजराइल के कई सहयोगियों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी

गाजा जंग में अब तक 66 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इस वजह से ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे इजराइल के पुराने सहयोगियों ने फिलिस्तीनी को देश की मान्यता दे दी है। ये सभी देश इजराइल पर सीजफायर के लिए दबाव बना रहे हैं। दूसरी तरफ इजराइल के कई राजनीतिक दलों का कहना है कि जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाता है, वे सीजफायर का समर्थन नहीं करेंगे। इन्होंने चेतावनी दी है कि अगर नेतन्याहू सीजफायर के लिए राजी होते हैं, तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।

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