दुर्गापुर: बी-ज़ोन स्थित देशबंधु भवन बुधवार को रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जब तृणमूल श्रमिक संगठन की बैठक धक्का-मुक्की और हाथापाई में बदल गई। बोनस और पेंशन जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक अचानक हंगामे का अखाड़ा बन गई।
आरोप है कि तृणमूल श्रमिक संगठन की कोर कमिटी के सदस्य मानस अधिकारी और नेता अमर शंकर दास के नेतृत्व में यह बैठक दुर्गापुर इस्पात कारखाना मजदूर यूनियन के नाम पर आयोजित की गई थी। लेकिन बैठक में यूनियन के स्थायी श्रमिकों को न बुलाकर, बाहरी लोगों और कथित तौर पर “बाउंसरों” को बुलाया गया।
संगठन के असिस्टेंट महासचिव स्नेहाशीष घोष ने तीखे आरोप लगाते हुए कहा –
“बैठक हमारे यूनियन भवन में करने के बजाय देशबंधु भवन में की गई। इसमें बाहरी लोगों को लाकर और बाउंसरों की मौजूदगी में चर्चा हुई। स्थायी श्रमिकों को नजरअंदाज किया गया। हमने इसका विरोध किया और आयोजकों को बैठक कक्ष से बाहर जाने के लिए कहा। तृणमूल श्रमिक संगठन के नाम को कलंकित करने वालों के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”
तृणमूल गुटों में अंदरूनी खींचतान?
हालांकि, इन आरोपों पर तृणमूल श्रमिक संगठन के क़द्दावर नेता मानस अधिकारी ने सफाई देते हुए कहा –
“मैं बैठक में मौजूद नहीं था। ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। स्थायी श्रमिकों ने बोनस और पेंशन से जुड़े मुद्दों पर बैठक की और उसके बाद अस्थायी श्रमिकों ने भी अपनी बैठक की। लंबे समय से यूनियन की कोई आमसभा नहीं हुई थी, इसलिए यह बैठक आयोजित की गई थी।”
बीजेपी का तंज
घटना को लेकर जिला बीजेपी नेतृत्व ने तृणमूल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा –
“यह तृणमूल की असली संस्कृति है। अपने ही लोगों के बीच बंटवारे और हिस्सेदारी पर झगड़े होते रहते हैं। आज तो उनकी खुद की बैठक ही मारपीट में बदल गई। बंगाल से तृणमूल का सफाया अब बहुत जल्द होगा।”
माहौल तनावपूर्ण
घटना के बाद देशबंधु भवन के आसपास माहौल तनावपूर्ण बना रहा। सूत्रों के अनुसार, बैठक में मौजूद दोनों गुटों के बीच जमकर नारेबाज़ी भी हुई। पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया और हालात को काबू में लिया गया।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद तृणमूल की श्रमिक राजनीति के भीतर गहराते मतभेदों की ओर इशारा करता है। दुर्गापुर इस्पात कारखाना मजदूर यूनियन लंबे समय से गुटबाज़ी से जूझ रही है और बोनस-पेंशन जैसे मुद्दों पर असंतोष तेज़ होता जा रहा है।