झारखंड/आसनसोल:
झारखंड में डैमोडर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) के खिलाफ बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। राज्य के कानून एवं श्रम मंत्री मलय घटक के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता डीवीसी कार्यालय के बाहर नारेबाजी करते हुए पहुंचे और बिना पूर्व सूचना के पानी छोड़े जाने को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया।
मलय घटक ने कहा कि,
“डीवीसी ने पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के बीच माइथन और पंचेत डैम से हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा, जिससे पश्चिम बंगाल के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। इतना बड़ा फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बिना बताए लिया गया, जो पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना है।”
मंत्री ने आगे कहा कि डीवीसी को भविष्य में ऐसे किसी भी निर्णय से पहले राज्य सरकार को सूचित करना चाहिए, ताकि लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि डीवीसी ने यह रवैया जारी रखा तो तृणमूल कांग्रेस बड़े आंदोलन की राह अपनाएगी।
डीवीसी अधिकारियों को सौंपा गया स्मारक पत्र
प्रदर्शन के दौरान टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने डीवीसी अधिकारियों को स्मारक पत्र (मेमोरेंडम) सौंपा, जिसमें यह मांग की गई कि भविष्य में किसी भी जलाशय से पानी छोड़ने से पहले संबंधित राज्यों को सूचित किया जाए।
इस मौके पर रानीगंज विधायक तापस बनर्जी, जिला तृणमूल कांग्रेस के सह अध्यक्ष हरेराम सिंह, जिला सभाधिपति विश्वनाथ बाउरी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। प्रदर्शन स्थल पर “डीवीसी होश में आओ” और “ममता बनर्जी के आदेश का सम्मान करो” जैसे नारे गूंजते रहे।
पृष्ठभूमि: झारखंड में भारी बारिश से डैमों पर बढ़ा दबाव
पिछले कुछ दिनों में झारखंड और पश्चिम बंगाल के हिस्सों में हुई भारी वर्षा के कारण डीवीसी को माइथन और पंचेत जलाशयों से पानी छोड़ना पड़ा। लेकिन बंगाल सरकार का आरोप है कि डीवीसी ने बिना समन्वय के अचानक पानी छोड़ा, जिससे दुर्गापुर, रानीगंज, बर्धमान और आसनसोल जैसे क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
टीएमसी का ऐलान: जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
टीएमसी नेताओं ने कहा कि बंगाल सरकार हर साल बाढ़ की समस्या से जूझती है, लेकिन केंद्र के अधीन डीवीसी प्राधिकरण राज्य की भावनाओं की अनदेखी करता है। “अगर यह रवैया नहीं बदला तो हम दिल्ली तक मार्च करेंगे,” — ऐसा एलान मंच से कार्यकर्ताओं ने किया।
🔹संभावित असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध झारखंड-बंगाल समन्वय और केंद्र बनाम राज्य के अधिकारों को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति बना सकता है।