TMC नेता सिधान मंडल पर बालू तस्करी का आरोप, ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, देखें वायरल वीडियो

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रानीगंज : शिल्पांचल में कोयला तस्करी से लेकर पशु तस्करी हो या फिर बालू तस्करी… अक्सर यह आरोप लगते रहे हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी के निर्देश एवं संरक्षण पर ही इन गोरखधंधों का संचालन होता है। इसीलिए पुलिस-प्रशासन कोई भी कार्रवाई करने के बजाए मूकदर्शक बनी रहती है। रविवार को कुछ इसी तरह का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें यह साफ हो रहा है कि बालू तस्करी में टीएमसी के नेताओं का एक वर्ग साफ तौर पर मिला हुआ है। यह वीडियो टीएमसी नेता और बल्लभपुर ग्राम पंचायत के उपप्रधान सिधान मंडल से जुड़ा हुआ है और मामला बल्लभपुर ग्राम पंचायत अंतर्गत बेलुनिया गांव और नूपुर कॉलोनी का बताया जा रहा है। इस वीडियो को देखने और सुनने के बाद यह साफ प्रतीत होता है कि सिधान मंडल के नेतृत्व में ट्रैक्टरों द्वारा अवैध रूप से बालू खनन व परिवहन करवाया जा रहा है। इस अनैतिक कार्य से परेशान होकर ग्रामीणों ने सिधान मंडल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि, CITY TODAY NEWS NETWORK इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।

👉 क्या है वायरल वीडियो में?

वायरल वीडियो दो अलग-अलग समय और स्थान के हैं। एक वीडियो शनिवार की रात को अंधेरे में लिया गया है, जो बेलुनिया गांव का है। जबकि, दूसरा वीडियो रविवार के दिन का है, जो नूपुर कॉलोनी का है।

दिन वाले वीडियो में यह परिलक्षित है कि ग्रामीणों के एक दल ने बालू लादकर ले जा रहे एक ट्रैक्टर के ड्राइवर को रोक लिया है और उससे कड़ाई से पूछताछ कर रहे हैं। पूछताछ में ड्राइवर बचने की कोशिश करते हुए यह पुष्टि करता है कि उक्त ट्रैक्टर और बालू सिधान मंडल का ही है और वे लोग उनके निर्देश पर काफी समय से यह काम कर रहे हैं।

रात वाले वीडियो में ग्रामीणों के साथ सिधान मंडल के बीच तू-तू-मैं-मैं चल रहा है। इस दौरान वीडियो बना रहे एक ग्रामीण का मोबाइल भी छिनते हुए सिधान मंडल नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण ट्रैक्टर को रोक दिया जाता है। सिधान लूंगी पहने हुए मौके पर पहुंचते है और जनदबाव में ट्रैक्टर से बालू वहीं अनलोड कर दिया जाता है।

👉 क्या है तस्करी का मामला?

बता दें कि एनजीटी के नियमों के तहत बरसात में नदियों से बालू निकालने पर रोक रहती है। पश्चिम बर्दवान एवं बांकुड़ा जिले में भी जिला प्रशासन द्वारा नदी से बालू निकालने पर रोक लगाई गई थी। आरोप है कि इस दौरान दामोदर से अवैध रूप से बालू खनन कर उसे नूपुर कॉलोनी होकर बेलुनिया गांव के रास्ते रात के अंधेरे में निकाला जाता था। बेलुनिया गांव में ही सिधान का अपना पक्का आलीशान घर है। बगैर अनुमति के अवैध रूप से किए जा रहे बालू खनन के कारण ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा था। आरोप है कि दामोदर से बीते कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर बालू तस्करी की गई है।

👉 क्या कहना है ग्रामीणों का?

विरोध जता रहे ग्रामीणों का कहना है कि नूपुर कॉलोनी और बेलुनिया में रहने वाले लोग रात में ट्रैक्टरों द्वारा की जा रही बालू तस्करी की वजह से परेशान हो गए थे। ट्रैक्टरों की आवाजों से उनकी रातों की नींद उड़ गई थी। प्रदूषण फैल रहा था। सड़क खराब हो रहे थे। परिवेश और माहौल बदतर हो रहे थे। सबसे अहम कि सिंचाई के लिए वे लोग जिस दामोदर पर निर्भर हैं, उसी का दोहन किया जा रहा था। इसी वजह से उनका गुस्सा फूट पड़ा और हल्ला बोल करना पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि सिधान वर्षों से कई अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हैं। बालू तस्करी में वे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। इसके अलावे बेलुनिया गांव से गुजरने वाली रेल लाइन के गायब होने के पीछ भी उसी का हाथ है। रंगदारी वसूलने से भी उसका जुड़ाव है। ग्रामीणों ने मांग की है कि गत कुछ वर्षों में उसकी संपत्ति में अकूत बढ़ोतरी हुई है, जो संदिग्ध है, इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने अपने आरोप में स्थानीय बल्लभपुर फांड़ी की पुलिस को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया है। लोगों ने आरोप लगाया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बालू तस्करी में स्थानीय बल्लभपुर फांड़ी पुलिस की सहभागिता नहीं है। क्योंकि, बिना पुलिस के मिली भगत के बालू तस्करी नहीं हो सकती। इससे पहले भी सिधान मंडल द्वारा बेलुनिया घाट से अवैध रूप से बालू निकालने के मामले सामने आ चुके हैं।

👉 आरोपों पर क्या कहा सिधान मंडल ने?

इस मामले पर सिधान मंडल से फोन पर बात करने पर उन्होंने आरोपों को नकारते हुए बताया कि मेरे नाम को बदनाम किया जा रहा है, इसमें विरोधी दलों का हाथ हो सकता है। ट्रैक्टर ड्राइवर द्वारा सिधान का नाम लिया जा रहा है। इस इलाके में कई सिधान हैं। जो वीडियो वायरल हो रहा है वह डेढ़ वर्ष पुराना वीडियो है। यह वीडियो मेरे घर के सामने का है। घर के बाहर यदि कुछ हो-हल्ला होगा तो मुझे तो घर से बाहर निकलना ही पड़ेगा। जो भी ट्रैक्टर है, उसमें कहीं भी मेरा नाम नहीं है।

👉 12 वर्षों से पंचायत सत्ता के शीर्ष पर हैं सिधान

यहां बता दें कि पिछले करीब 12 वर्षों से सिधान बल्लभपुर ग्राम पंचायत के शीर्ष पद पर काबीज हैं। अपनी राजनीतिक क्षमताओं का उपयोग कर वह कभी प्रधान तो कभी उप-प्रधान बनता रहा है। हालांकि, 2018 के पंचायत चुनाव में अपने पद को बचाने के लिए उसने पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोलने का मन बना लिया था। बल्लभपुर के ग्रामीणों के एक बड़े समूह का मानना है कि तृणमूल नेतृत्व को इस ओर गंभीर रूप से तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

👉 पंचायत प्रधान ने पुलिस पर ही मढ़ दिया सारा आरोप

मामले में जब बल्लभपुर ग्राम पंचायत की प्रधान मीना धीवर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बालू के कोई भी मामले में मैं शामिल नहीं हूं। इस विषय में मुझे कोई जानकारी भी नहीं है। कई बार शिकायत मेरे पास आई है। मैंने ऊपर तक शिकायत की है परंतु कोई भी कार्रवाई नहीं होती है। मैं अवैध बालू कारोबार के सख्त खिलाफ हूं। बल्लभपुर फांड़ी प्रभारी की मिलीभगत से यह कारोबार यहां चलता है। महिलाओं के साथ मिलकर मैंने बालू तस्करी को रोकने की कोशिश की थी, परंतु सीसीटीवी कैमरे में हम लोगों को जाता देखकर पहले ही बालू ट्रैक्टरों को रुकवा दिया गया। मैं खुद यहां की बालू तस्करी को रोकना चाहती हूं, परंतु ऊपरी स्तर तक मिलीभगत के कारण इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

👉 क्या फांड़ी प्रभारी पर एक्शन लेंगे पुलिस आयुक्त?

सबसे अहम बात यह है कि जब सत्तारूढ़ पार्टी का एक जन प्रतिनिधि, जो पंचायत प्रधान के पद पर बैठा हो, उसी ने फांड़ी प्रभारी की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या पुलिस आयुक्त इस मामले में विभागीय जांच शुरू कराने के साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेंगे। कमिश्नरेट पुलिस का दावा है कि वर्तमान पुलिस कमिश्नर अनुशासन, इमानदारी और कर्तव्यपरायणता की एक मिसाल हैं और वे अपनी टीम को इसी रूप में देखना पसंद करते हैं तो अब यह देखना है कि बल्लभपुर फांड़ी प्रभारी पर क्या कार्रवाई होती है।

👉 दामोदर का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश

डिसरगढ़, सांकतोड़िया से शुरू कर बराकर, सीतारामपुर, कुल्टी, बनर्पुर, डामरा, तिराट, डामालिया, बल्लभपुर, नूपुर, मदनपुर, बास्का, अंडाल, दिगनाला आदि कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां दामोदर का दोहन नहीं किया जा रहा हो। पहले कुछ एक घाटों से बालू निकाले जाते थे, लेकिन अब तो शायद ही कोई ऐसा घाट है, जहां से बालू निकासी नहीं की जा रहा है। बालू निकासी की वजह से श्मसान घाट में दाह्य संस्कार करना तक परेशानी का सबब बन गया है। मूर्ति विसर्जन करने में परेशानी होती है। लोगों को स्नान करने में दिक्कतें होने लगी है। बालू निकासी के कारण दामोदर में डूब कर मरने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। दामोदर का रास्ता बदल दिया जा रहा है। धारा को रोक दिया जाता है। अस्थायी पुल-रोड तक बनाकर बालू निकासी की जा रही है। दामोदर के अस्तित्व को खत्म करने की पुरजोर साजिश चल रही है। अब जब मॉनसून खत्म हो गया है और एनजीटी का प्रतिबंध आदेश भी समाप्त हो चुका है तो आने वाले समय में यह देखना होगा कि बालू तस्करी रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन किस तरह का रूख अख्तियार करती है?

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