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मंदिर तोड़ा, वादा भूला: सेल आईएसपी के खिलाफ बर्नपुर में गुस्से की लहर

बर्नपुर: आसनसोल नगर निगम के 78 नंबर वार्ड में सेल आईएसपी द्वारा विकास कार्य के लिए शिव मंदिर और गणेश मंदिर को हटाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने विकास कार्यों में कोई बाधा नहीं डाली, लेकिन उनकी केवल एक मांग थी कि हटाए गए मंदिर के स्थान पर दूसरी जगह मंदिर का निर्माण कराया जाए।

सेल आईएसपी पर वादा तोड़ने का आरोप

स्थानीय लोगों के मुताबिक, सेल आईएसपी ने पहले आश्वासन दिया था कि मंदिर के बदले दूसरी जगह पर मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। लेकिन अब प्रबंधन अपने वादे से पीछे हट रहा है। इस घटना के चलते स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ गई और उन्होंने आज मौके पर पहुंचकर सेल आईएसपी के कार्य को रोक दिया।

स्थानीय पार्षद अशोक रूद्र का बयान

घटना की जानकारी मिलने पर वार्ड पार्षद अशोक रूद्र मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा,
“यह जमीन निश्चित रूप से सेल आईएसपी की है, लेकिन यहां शिव मंदिर और गणेश मंदिर थे। मंदिरों को हटाने के बाद प्रबंधन ने वादा किया था कि दूसरी जगह पर मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। लेकिन अब वे अपने वादे को पूरा नहीं कर रहे हैं। यह स्थानीय लोगों के धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।”

सेल की अन्य संपत्तियों पर अवैध कब्जे का मुद्दा उठाया

अशोक रूद्र ने यह भी आरोप लगाया कि सेल आईएसपी की कई अन्य संपत्तियों पर अवैध अतिक्रमण हुआ है, जिन पर प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है।

  • उन्होंने कहा, “कुछ दूरी पर एक भाजपा नेत्री ने सेल की जमीन पर अवैध कार्यालय बना रखा है।”
  • “सेल के क्वार्टरों पर भी अवैध कब्जे हैं, जहां लाखों का अवैध लेनदेन होता है। इन सब में प्रबंधन के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं।”
    उन्होंने सवाल उठाया कि प्रबंधन इन अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करने की बजाय मंदिर हटाने पर क्यों जोर दे रहा है।

मंदिर निर्माण पर राजनीति गरमाई

पार्षद रूद्र ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा,
“यह विडंबना है कि जो केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के नाम पर सत्ता में आई, उसी सरकार के अधीन एक संस्था सेल आईएसपी द्वारा मंदिर हटाया जा रहा है। और वादे के मुताबिक नई जगह मंदिर का निर्माण भी नहीं किया जा रहा।”

विकास कार्य स्थगित, लोगों में बढ़ती नाराजगी

स्थानीय लोगों के विरोध के चलते फिलहाल सेल आईएसपी का विकास कार्य रुक गया है। लोगों का कहना है कि जब तक मंदिर का निर्माण दूसरी जगह पर नहीं कराया जाएगा, तब तक विरोध जारी रहेगा।

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