सिंडिकेट राज : ‘KK-LB और अफसरों’ के नेक्सस को डिकोड करने में जुटी ED

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👉खुलासा- लोकल अथॉरिटी के पूर्ण समर्थन व संरक्षण से ऑपरेट हो रहा सिंडिकेट

👉दावा- कई डायरियाँ और रजिस्टर बरामद, जिनमें गैर-कानूनी कैश कलेक्शन और उनके बेनिफिशियरी का ब्यौरा

कोलकाता/आसनसोल (प्रेम शंकर चौबे) : कोयला कारोबारियों (बड़ी मछलियों) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दो दिनों तक की गई ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद अब नित-नये खुलासे हो रहे हैं। ईडी की टीम अब कोल सिंडिकेट के दो सबसे अहम चेहरों कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू उर्फ केके और लाल बहादुर सिंह उर्फ एलबी के साथ ‘अफसरों’ के नेक्सस को डिकोड करने में जुट गई है। ईडी ने अपनी जांच में दावा किया है कि पूरा कोल सिंडिकेट स्थानीय अधिकारियों (लोकल अथॉरिटी) के पूर्ण समर्थन व संरक्षण से ऑपरेट किया जा रहा था। ऐसे में आगे की जांच में ईडी इसी कड़ी को तलाश रही है कि आखिर इस सिंडिकेट को किन-किन अफसरों का संरक्षण मिला हुआ था, वे किस विभाग के अधीन थे? इनमें से कुछ की पहचान भी हो चुकी है। ईडी के अधिकारियों ने कहा कि आगे की जांच जारी है। आने वाले दिनों में इससे संबंधित कई अहम खुलासे हो सकते हैं। इधर, सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले शुरू हुई इस कार्रवाई ने कई बड़ी मछलियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटका दी है।

ईडी ने दिया सर्च कार्रवाई का पूरा ब्यौरा

बता दें कि ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के सेक्शन 17 के तहत पश्चिम बंगाल और झारखंड में 44 जगहों पर कोऑर्डिनेटेड बड़ी सर्च कार्रवाई की। यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर कोयले की गैर-कानूनी माइनिंग, चोरी, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और बिक्री के संबंध में की गई। सर्च कार्रवाई के दौरान, 14 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कैश और ज्वेलरी/सोना, साथ ही बड़ी मात्रा में सबूत मिले, जिसमें कोयला सिंडिकेट से जुड़ी कई प्रॉपर्टी डीड और ज़मीन की खरीद-बिक्री से जुड़े एग्रीमेंट, और कई डिजिटल डिवाइस, उन लोगों द्वारा कंट्रोल की जाने वाली एंटिटीज़ के अकाउंट बुक वगैरह शामिल हैं। झारखंड में 20 जगहें धनबाद और दुमका में हैं, जो मुख्य रूप से लाल बहादुर सिंह, अनिल गोयल, संजय खेमका, अमर मंडल, उनकी कंपनियों/एंटिटीज़ और उनसे जुड़े लोगों से जुड़ी हैं। पश्चिम बंगाल में 24 जगहें दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता में हैं। पश्चिम बंगाल में नरेंद्र खरका, कृष्ण मुरारी कयाल, युधिष्ठिर घोष, राज किशोर यादव, लोकेश सिंह, चिन्मय मंडल, नीरद बरन मंडल और दूसरों से जुड़े कई घरों, ऑफिसों, गैर-कानूनी टोल कलेक्शन बूथ और कोक प्लांट में तलाशी ली गई। CRPF जवानों के साथ ED के 100 से ज़्यादा अधिकारी तलाशी में शामिल थे।

बंगाल-झारखंड बॉर्डर पर गैरकानूनी रूप से चल रहा बड़ा नेटवर्क

ED की जांच पश्चिम बंगाल और झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई FIR पर आधारित है, जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच चल रही गैर-कानूनी कोयला तस्करी के मामले में हैं। FIR से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल-झारखंड बॉर्डर पर एक बड़ा नेटवर्क चल रहा है, जिसमें झारखंड से पश्चिम बंगाल राज्य में बिना किसी वैलिड डॉक्यूमेंट के कोयले की गैर-कानूनी सप्लाई शामिल है। तलाशी के दौरान जब्त किए गए डॉक्यूमेंट और दूसरे रिकॉर्ड ने FIR में लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है और इससे स्थानीय अधिकारियों (लोकल अथॉरिटी) की मदद से चल रहे एक ऑर्गनाइज्ड रैकेट की पहचान भी हुई है।

डायरियों से उजागर हुई काली कमाई

इससे पता चला है कि यह सिंडिकेट पश्चिम बंगाल और झारखंड के बॉर्डर इलाकों में बहुत एक्टिव है और इसने क्राइम से बहुत ज़्यादा कमाई की है। इसके अलावा, कई डायरियाँ और रजिस्टर भी मिले हैं जिनमें गैर-कानूनी कैश कलेक्शन और उनके बेनिफिशियरी का ब्यौरा है। पश्चिम बंगाल में 3 कोक प्लांट में की गई तलाशी के दौरान, गैर-कानूनी तरीके से रखे गए लगभग 7.9 लाख MT कोयला और कोयला एग्रीगेट की पहचान की गई। ईडी का कहना है कि आगे की जांच जारी है।

आखिर कौन हैं वो लोकल अथॉरिटी?

ईडी की आगे की जांच के केंद्र में अब लोकल अथॉरिटी आ गई है। आखिर वो लोकल अथॉरिटी कौन है? अब इसके नेक्सस का पता लगाया जा रहा है। इससे प्रभावशालियों तक पहुंचने में केंद्रीय जांच एजेंसी को आसानी होगी। इनमें से कुछ की पहचान कर लिए जाने का दावा ईडी ने किया है। लेकिन, जांच प्रभावित होने की वजह से उनके नामों का खुलासा करने के बजाए गोपनीय रखा गया है। ईडी ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में लोकल अथॉरिटी का उल्लेख कर कोल इंडिया (ईसीएल-बीसीसीएल) और पुलिस-प्रशासन की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। बता दें कि कोल सिंडिकेट ने ईसीएल और बीसीसीएल की कोलियरियों-ओसीपी-डिपो और परित्यक्त खदानों को सॉफ्ट टार्गेट बना रखा था। ईसीएल और बीसीसीएल में सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के साथ ही इन कंपनियों की निजी सुरक्षा टीम के हवाल रहती है। वहीं, जिन क्षेत्रों में यह पूरा खेल चल रहा था, उनमें झारखंड के धनबाद और दुमका जिलों से होकर पश्चिम बंगाल का पश्चिम बर्दवान जिला मुख्य रूप से शामिल था। इन क्षेत्रों में धनबाद जिला की पुलिस-प्रशासन, दुमका जिला की पुलिस-प्रशासन और पश्चिम बर्दवान जिला प्रशासन और आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट पर सुरक्षा का जिम्मा है। ऐसे में ईडी अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि सिंडिकेट द्वारा इन जिलों के इतने सारे अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर ऑपरेट करना आसान नहीं है। बड़े पैमाने पर मिलीभगत से ही यह खेल हो रहा था, जिसके तह तक पहुंचने की कोशिश में एजेंसी लगी हुई है।

सिंडिकेट के मयान में दो कमान- बंगाल में केके और झारखंड में एलबी

ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि पूरे सिंडिकेट की कमान संभालने की जिम्मेदारी कृष्ण मुरारी कयाल और लाल बहादुर सिंह ने उठा रखी थी। एलबी झारखंड का और केके बंगाल का सिरमौर था। इन्हीं के नेतृत्व में पूरा नेटवर्क संचालित हो रहा था। झारखंड से अवैध तरीके से कोयले की सप्लाई बंगाल में धड़ल्ले से की जा रही थी। अन्य सभी सदस्यों की अपनी-अपनी भूमिका तय थी। जिसे बड़ी साफगोई से निभाया जा रहा था। दोनों के ही बड़े अधिकारियों के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्टियों के साथ ही आला नेताओं से मधुर संबंध थे। केके की राजनीतिक पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह 2013 में राज्य सरकार के उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल था, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में विदेश जा रहा था। यही नहीं 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान रानीगंज के भाजपा प्रार्थी मनीष शर्मा के साथ उसकी निकटता उस वक्त खुलकर सामने आई थी, जब हथियार और नकदी के साथ गिरफ्तारी हुई थी। वहीं, एलबी के रसूख की बात करें तो यूपी के बलिया के एक छोटे से गांव से निकल कर आए इस शख्स ने अपने भाई कुंभनाथ के साथ मिलकर ऐसा अकूत साम्राज्य कायम कर लिया था कि सीबीआई की टीम पर ही फायरिंग करवा दिया था। ईडी की टीम पर पालतू कुत्ते छोड़ दिए। बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी समीरन दत्ता के साथ इसकी खूब छनती थी। लोकल अथॉरिटी के संरक्षण की वजह से पूरा नेटवर्क बेखौफ होकर अवैध कोयला कारोबार में रमा हुआ था।

टेरर फंडिंग/हवाला लिंक के भी तलाशे जा रहे साक्ष्य

केंद्रीय जांच एजेंसी का मानना है कि आम तौर पर अवैध या काले धन को सफेद करने के लिए इसे हवाला ट्रेडिंग के माध्यम से देश के साथ-साथ विदेशों में खपाया जाता है। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। खासकर अवैध-धंधों में ये एक जाना-माना ट्रेंड है। वहीं झारखंड में कोयला माफियाओं के माओवादियों-नक्सलियों के सांठगांठ का पूराना ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। ऐसे में इस सिंडिकेट से जुड़ी जांच के केंद्र में टेरर फंडिंग और हवाला लिंक को भी रखा गया है। कोल सिंडिकेट से जुड़े कई नये-पुराने सदस्य पहले भी नकली नोट, ड्रग्स और हथियार सप्लाई में पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में इस नेटवर्क के तार कहां-कहां जुड़े हैं? उन सबकी गंभीरता से पड़ताल की जा रही है।

कयाल के ठिकानों से मिली डायरी में सामने आए 4 अहम नाम, खुलेंगे कई राज

जांच एजेंसियों ने बताया कि कोल सिंडिकेट में मास्टरमाइंड की भूमिका निभा रहे कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू उर्फ केके के ठिकानों में सर्च के दौरान कई अहम दस्तावेज, डिजिटल उपकरणों के साथ ही डायरियां भी मिली हैं। इनमें से एक डायरी में 4 अहम लोगों के नाम सामने आए हैं। चारों नाम शिल्पांचल से जुड़े हुए हैं। इनमें गोपी पाल (अंडाल), पप्पू सिंह (रानीगंज), रणधीर सिंह (काजोड़ा) और रतन राय (पंजाबी मोड़) शामिल हैं। इनकी चारों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनके माध्यम से काली कमाई का लेन-देन किए जाने की जानकारी सामने आई है। डायरी के पन्नों में पप्पू के नाम का उल्लेख दर्जनों बार से ज्यादा है। उसके माध्यम से कई बार बड़ी रकम मंगाई और भिजवाई गई है। दावा है कि एजेंसी इन चारों को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाएगी। एक अन्य डायरी से कई शेल (छद्म) कंपनियों का पता चला है, जिसके माध्यम से अवैध धन का लेन-देन किया गया है। इसके कोई वैध दस्तावेज या हिसाब नहीं मिले हैं। इनमें से कई कंपनियां तो दस्तावेजों में बंद भी मिली है, लेकिन इन कंपिनयों के नाम पर चालू बैंक अकाउंट ऑपरेटेड मोड में मिले हैं। लेयरिंग के माध्यम से काली कमाई को सफेद किया जा रहा था। इसके अलावे युधिष्ठिर घोष के नाम से दो ऐसे नोटरी एग्रीमेंट मिले हैं, जिनके माध्यम से नकद में 29 करोड़ रुपये के अवैध लेन-देन का खुलासा हुआ है। एक एग्रीमेंट में गिरफ्तार बालू कारोबारी अरुण सर्राफ को 19 करोड़ और दूसरे एग्रीमेंट में गोपी पाल को 10 करोड़ रुपए कैश में दिए जाने का खुलासा हुआ है।

जनता का निगाहें आगे की कार्रवाई पर टिकीं

बहरहाल, ईडी के इन खुलासों ने शिल्पांचल के साथ-साथ पूरे बंगाल-झारखंड में सनसनी मचा दी है। अब देखना है कि केंद्रीय जांच एजेंसी आगे क्या कार्रवाई करती है? लोक अथॉरिटी पर नकेल कसने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? स्थानीय पुलिस-प्रशासन द्वारा अब सिंडिकेट पर प्रहार करने के लिए क्या कार्रवाई की जाएगी? जनता को अब आगे की कड़ी कार्रवाई रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है।

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बंगाल में 3 कोक प्लांट में तलाशी के दौरान गैर-कानूनी तरीके से रखा गया लगभग 7.9 लाख MT कोयला (ईडी द्वारा जारी तस्वीर)👆🏿

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