सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को हाथियों को भगाने के लिए कांटेदार स्पाइक्स और जलती मशालों के इस्तेमाल के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने वकील रश्मि नंदकुमार द्वारा प्रस्तुत दलीलों के आधार पर पारित किया।
याचिकाकर्ता का आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जानवरों के साथ क्रूरता रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। जंगलों और मानव बस्तियों के पास हाथियों को डराने के लिए कांटेदार स्पाइक्स और जलती हुई मशालों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हाथियों को गंभीर चोटें पहुंचती हैं और उनकी जान तक खतरे में पड़ जाती है।
कोर्ट ने मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है और सवाल उठाया है कि इस तरह की क्रूरता पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि राज्य सरकार ने हाथियों के लिए सुरक्षित और मानवीय उपाय अपनाने की दिशा में अब तक क्या कार्य किया है।
पर्यावरणविदों और पशु प्रेमियों की नाराजगी
पर्यावरणविदों और पशु प्रेमियों ने इस मुद्दे पर सरकार की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि हाथियों को इस तरह प्रताड़ित करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी खतरनाक है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे क्रूर उपायों से मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ता है।
पश्चिम बंगाल में वन्यजीव संघर्ष का बड़ा मुद्दा
पश्चिम बंगाल के जंगलों और उनके आसपास हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष कोई नई बात नहीं है। लेकिन क्रूर उपायों का उपयोग इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।