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आसनसोल में कवि सुकांत भट्टाचार्य की जयंती पर सांस्कृतिक माहौल में डूबा शहर

आसनसोल, शनिवार।
पश्चिम बंगाल के महान क्रांतिकारी कवि सुकांत भट्टाचार्य की जयंती पर शनिवार को आसनसोल के सुकांत मैदान में साहित्य और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस मौके पर आसनसोल नगर निगम की पहल पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न लेखक, कवि, कलाकार और साहित्य प्रेमियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम में रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ-साथ कविता पाठ, नृत्य और नाटक का आयोजन किया गया। स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने सुकांत की रचनाओं पर आधारित नाट्य मंचन प्रस्तुत किया, जिसे देख कर दर्शक भावविभोर हो उठे।

इसके अलावा खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ जिसमें स्थानीय युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पूरे मैदान में उत्साह और साहित्यिक ऊर्जा का माहौल छा गया।

इस अवसर पर वामपंथी नेता पार्थ भट्टाचार्य ने कहा—
“कवि सुकांत की विचारधारा केवल साहित्य तक सीमित नहीं, बल्कि वह सामाजिक चेतना और परिवर्तन की प्रेरणा भी है। आज हमें उनके आदर्शों को आत्मसात कर नई पीढ़ी तक पहुंचाना होगा।”

स्थानीय लोगों ने भी कार्यक्रम में भारी संख्या में हिस्सा लिया और कवि को श्रद्धांजलि अर्पित की। कवि की प्रसिद्ध पंक्तियाँ “आসে आओ नये सूर्य” जब गूंजीं, तो वातावरण में साहित्य और क्रांति की भावना एक साथ महसूस हुई।

यह कार्यक्रम न केवल कवि की स्मृतियों को जीवंत करने वाला साबित हुआ, बल्कि आसनसोल के साहित्यिक परिदृश्य को भी नई ऊर्जा प्रदान कर गया।

ghanty

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