मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए श्रम कानूनों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सतपाल जी महाराज ने कहा कि देशभर में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में मजदूरों का दशकों से शोषण होता आया है।
उन्होंने कहा—
“नई श्रम संहिता से मजदूरों का शोषण रुकेगा। मजदूर देश की रीढ़ हैं। जो काम वे करते हैं, वही इतिहास बनाता है। इसलिए यह कानून लागू होना अनिवार्य है।”
महाराज के इस बयान को केंद्र के समर्थन में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब श्रमिक वर्ग बंगाल में एक बड़ा चुनावी फैक्टर माना जाता है।
🌼 आसनसोल के सद्भावना दिवस में जनसैलाब—महाराज ने दिया ‘राष्ट्रएकता’ का संदेश
आसनसोल के पोलो ग्राउंड में चल रहे चार दिवसीय सद्भावना दिवस कार्यक्रम में सतपाल महाराज ने विशेष सत्र को संबोधित किया।
यह आयोजन हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ खींच रहा है। महाराज ने ‘सद्भावना, एकता, करुणा और राष्ट्र-निर्माण’ पर विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा—
“धर्म का अर्थ विभाजन नहीं—धर्म का अर्थ है सबको जोड़ना।”
कार्यक्रम में ‘राष्ट्रीय एकता मंथन’, कीर्तन, सेवा कार्यक्रम और युवाओं के लिए प्रेरणा सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं।
🔥 बागेश्वर धाम के कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया—“हमें अनुमति मिली, बस इतना ही कहूंगा”
कोलकाता में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को कार्यक्रम की अनुमति न मिलने पर जब उनसे सवाल पूछा गया, तो महाराज ने तंज भरे अंदाज़ में कहा—
“हमें तो अनुमति मिली है… इस पर और कुछ नहीं कहूंगा।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इसे बंगाल सरकार की कार्यशैली पर एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है।
🇮🇳 RSS प्रमुख मोहन भागवत के राष्ट्रवाद संदेश पर प्रतिक्रिया—‘सनातन का मूल है मानवता को जोड़ना’
मोहन भागवत द्वारा दिए गए राष्ट्रवाद और समाजिक एकता के संदेश पर भी महाराज ने अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा—
“सनातन धर्म का मूल उद्देश्य मानवता को जोड़ना है। समाज में प्रेम, करुणा और एकता लाना ही सनातन का ध्येय है।”
उनका यह संदेश सद्भावना दिवस कार्यक्रम के केंद्रीय थीम से मेल खाता है।












