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“अमेरिका न भारत का दोस्त, न पाकिस्तान का साथी” – संजय सिन्हा


भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर दक्षिण एशिया की भू-राजनीति वैश्विक बहस का केंद्र बन गई है। इस मुद्दे पर इंटरनेशनल इक्विटेबल ह्यूमन राइट्स सोशल काउंसिल के इंटरनेशनल चेयरमैन संजय सिन्हा ने अमेरिका की भूमिका पर बड़ा बयान दिया है।

🇺🇸 “अमेरिका किसी का नहीं, सिर्फ अपने हित का है” – संजय सिन्हा

संजय सिन्हा ने कहा:
“अमेरिका न तो भारत का दोस्त है और न ही पाकिस्तान का स्थायी साथी।”
उसकी नीतियां पूरी तरह पूंजीवादी और भू-राजनीतिक हितों से प्रेरित हैं। उनका उद्देश्य है:

  • चीन को संतुलित करना
  • क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना
  • अर्थिक लाभ हासिल करना

🇮🇳 भारत को अपनी रणनीति खुद तय करनी होगी

सिन्हा का मानना है कि भारत को अब किसी भी देश की तरफ देखने की बजाय,
अपनी स्वायत्त विदेश नीति और बहुपक्षीय रणनीतिक साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “भारत को अपने हितों की रक्षा खुद करनी होगी, अमेरिका या किसी और पर निर्भर नहीं रह सकता।”

🧭 चीन की चाल और पाकिस्तान का समीकरण

संजय सिन्हा ने चीन की रणनीति को भी उजागर किया।
उन्होंने बताया कि

  • चीन भारत से व्यापारिक रिश्ते रखना चाहता है, लेकिन
  • क्वाड और इंडो-पैसिफिक में भारत की बढ़ती ताकत से वह घबराया हुआ है।

उन्होंने यह भी कहा:
“भारत-पाक युद्ध की स्थिति चीन के लिए नुकसानदेह होगी, क्योंकि इससे CPEC परियोजना और मध्य एशिया में उसका प्रभाव खतरे में आ जाएगा।”
इसी कारण चीन तनाव को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, लेकिन साथ में पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देना भी नहीं छोड़ता।

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