अजय नदी का सीना चीर कर बीरभूम से कांकसा में बालू तस्करी, प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई

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👉 BL&LRO मंजू कांजीलाल के नेतृत्व में मैप लेकर चला व्यापक जांच अभियान

👉 रेत माफियाओं के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई से मचा हड़कंप

दुर्गापुर : अजय नदी का सीना चीर कर नदी के बीचों-बीच अस्थायी सड़क बनाकर बीरभूम से पश्चिम बर्दवान जिले में बालू (रेत) तस्करी की जा रही थी। इसकी शिकायत मिलते ही कांकसा भूमि व भू-राजस्व विभाग की अधिकारी (BL&LRO) मंजू कांजीलाल के नेतृत्व में बुधवार सुबह से कांकसा ब्लॉक के विदबिहार पंचायत क्षेत्र के नया कंचनपुर शिवतला घाट पर नक्शा (मैप) हाथ में लेकर जांच अभियान चलाया गया। पुलिस को साथ लेकर बुधवार सुबह से ही अभियान शुरू हुआ। मोचिपाड़ा-शिवपुर रोड से कई वाहनों को रोका गया और जब्त किया गया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर सरकारी बालू घाट बीरभूम प्रशासन के अधीन है। अजयघाट शिबपुर रोड पर बालू लदा एक ट्रक जब्त किया गया। कई ट्रैक्टरों पर फाइन भी लगाया गया।

इसके पीछे कौन या कौन-कौन लोग शामिल हैं? इसी सवाल को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक घमासान चरम पर है। भाजपा विधायक (दु्गापुर-पश्चिम) लक्खन घोरुई का आरोप है कि ‘सत्तारूढ़ दल के संरक्षण में यह अवैध काम चल रहा है। अजय और दामोदर नदियों का रास्ता बदलकर रेत की तस्करी की जा रही है। क्या पुलिस प्रशासन को पता नहीं है?’

इधर भगवा शिविर के आरोपों पर जिला तृणमूल नेतृत्व ने पलटवार किया है। तृणमूल के जिला उपाध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने कहा- ‘अगर कहीं भी कोई गैर-कानूनी काम होता है, तो स्टेट एडमिनिस्ट्रेटर एक्शन लेता है। इसीलिए यह ऑपरेशन चलाया जा रहा है। लैंड एंड लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट गैर-कानूनी काम को बर्दाश्त नहीं करता। यह एक बार फिर साबित हो गया है।’

सत्ता-विपक्ष के इस राजनीतिक विवाद के बीच, कांकसा भूमि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि यह लगातार अभियान जारी रहेगा। सूत्रों के अनुसार, इस तरह की रेत तस्करी के कारण अजय नदी के प्रवाह में भी बदलाव आ रहा है।

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