पटना : ‘अपराधी या तो जेल में होंगे या कब्र में’ सम्राट चौधरी का यह डायलॉग अब सिर्फ बयान नहीं, बिहार की नई सत्ता का पावर सेंटर बन गया। 20 साल तक गृह विभाग नीतीश कुमार के पास रहा, लेकिन 2025 में पहली बार यह विभाग बीजेपी को गया और सीधा सम्राट चौधरी के पास। बिहार में जंगलराज… यह टिप्पणी कोर्ट की थी। भारतीय जनता पार्टी ने इसे सबसे ज्यादा भुनाया। राष्ट्रीय जनता दल को सत्ता में आने से रोकने के लिए बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा ने इसी बात पर मुहिम चलाई। ‘जंगलराज’ मतलब, बेलगाम अपराध। और, आज से अपराध पर नियंत्रण भाजपा की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में गुरुवार को शपथ लेने वाली नई सरकार के अंदर शुक्रवार को जब विभागों का बंटवारा हुआ तो गृह विभाग भाजपा के खाते में आ गया। भाजपा की पुरानी मांग को इस बार नीतीश कुमार ने स्वीकार कर लिया। तो क्या, सम्राट को गृह विभाग देकर भाजपा के सामने नीतीश कुमार अब कमजोर हो गए? नहीं। जानिए, क्या हो गया खेला?
क्या होता है राज्य में गृह विभाग के मंत्री के पास
सम्राट चौधरी को एनडीए सरकार में पिछले साल उप मुख्यमंत्री का दर्जा मिला था। वह उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। वहां से सीधे वित्त मंत्री बने और उप मुख्यमंत्री का दर्जा मिला। वित्त मंत्री की जगह इस बार उप मुख्यमंत्री के दर्जे के साथ सम्राट चौधरी को गृह विभाग का मंत्री बनाया गया है। गृह विभाग मतलब पुलिस महकमे का प्रमुख। इसे इस तरह समझें कि बिहार के पुलिस महानिदेशक और उनके मातहत कार्यरत सभी पुलिसकर्मी, कारा कर्मी… गृह विभाग के अंदर होते हैं। अब यह गृह विभाग सम्राट चौधरी के अंदर। जब भी अपराध होता है तो जनता पुलिस से उम्मीद नहीं करती, गृह विभाग के मंत्री से सवाल करती है। बिहार का मुख्य विपक्षी दल- राजद इसी कारण गृह विभाग के मंत्री होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए अपराध का आंकड़ा जारी करता रहा है। अब निशाने पर नीतीश कुमार नहीं, सीधे सम्राट चौधरी होंगे। मतलब, अपराध को नियंत्रित रखना ही सोते-जागते सम्राट चौधरी की जिम्मेदारी होगी।
सीएम नीतीश के पास सुपर पावर कैसे रह गई?
पुलिस, यानी भारतीय पुलिस सेवा और बिहार पुलिस सेवा के अधिकारियों के साथ सभी पुलिसकर्मी बिहार पुलिस के अंदर होते हैं। और, राज्य का प्रशासनिक तंत्र किसके अंदर है- सामान्य प्रशासन विभाग। मुख्य सचिव, उनके अंदर कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा और बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ पूरा प्रशासनिक तंत्र बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD Bihar) के मातहत होता है। यह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मातहत है। जिलों में सबसे बड़े अधिकारी, जिला दंडाधिकारी (DM) होते हैं। उस जिले के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी, चाहे वह वरीय पुलिस अधीक्षक हों या पुलिस अधीक्षक- डीएम को ही रिपोर्ट करते हैं। मतलब, स्थायी तौर पर सामान्य प्रशासन विभाग सबसे ताकतवर है और यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास है। सीएम के पास मंत्रिमंडल सचिवालय और निर्वाचन तो है ही, निगरानी विभाग भी उनके पास ही है। निगरानी का नजर पुलिस-प्रशासन सभी पर रहती है और यह विभाग भी सीएम नीतीश कुमार के पास है। मतलब, सुपर पावर तो नीतीश कुमार अब भी हैं।












