आसनसोल में महान संगीतकार सलिल चौधरी की स्मृति में रविवार की शाम एक यादगार और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिटी केबल आसनसोल की ओर से रविंद्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में शहरभर के संगीतप्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। शुरुआत होते ही पूरा सभागार मानो सुर-ताल की जादुई दुनिया में डूब गया।
🔻 लोकप्रिय गीतों से गूंज उठा रविंद्र भवन
स्थानीय और बाहरी कलाकारों ने एक के बाद एक सलिल चौधरी की अमर धुनों—
“रिमझिम गिरे सावन”, “ना जाने क्यों”, “ए मेरे प्यारे वतन”, “दे दे प्यार दे”
जैसे सदाबहार गीतों को अपनी आवाज में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने तालियों और उत्साह से हर प्रस्तुति का स्वागत किया।
कई कलाकारों ने बताया कि सलिल दा का संगीत केवल गीत नहीं, बल्कि भावनाओं की भाषा है, जिसे गाना अपने आप में गर्व की बात है।
🔻 गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाया कार्यक्रम का गौरव
कार्यक्रम में आसनसोल नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य गुरदास चटर्जी, सिटी केबल के वरिष्ठ अधिकारी, और स्थानीय सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
गुरदास चटर्जी ने कहा—
“सलिल चौधरी भारतीय संगीत के ऐसे स्तंभ हैं जिनकी धुनें सदियों तक जीवित रहेंगी। नई पीढ़ी को यह विरासत सौंपना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
🔻 नई पीढ़ी को सलिल दा के संगीत से जोड़ने का प्रयास
समारोह का मुख्य उद्देश्य था—
✔ सलिल चौधरी के अमूल्य संगीत योगदान को याद करना
✔ युवा कलाकारों को उनकी रचनाओं से जोड़ना
✔ आसनसोल के सांस्कृतिक माहौल को और समृद्ध करना
इसके तहत कई युवा कलाकारों ने भी मंच पर अपनी प्रस्तुति दी, जिन्हें दर्शकों ने विशेष सराहना दी।
🔻 संगीतमय रात ने जीत लिया दर्शकों का दिल
लगभग तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम के अंत में पूरा सभागार खड़ा होकर कलाकारों का अभिनंदन करता दिखा। कई दर्शकों ने कहा कि वर्षों बाद उन्होंने इतना भावनात्मक और उच्चस्तरीय संगीत कार्यक्रम देखा है।












