नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा- भाजपा और संघ में कोई विवाद नहीं है। हमारे भाजपा सरकार ही नहीं सभी सरकारों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं हैं।
सरकार में फैसले लेने के सवाल पर भागवत ने कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार में सब कुछ संघ तय करता है। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन फैसले वे ही लेते हैं। हम तय करते तो इतना समय नहीं लगता।
संघ प्रमुख, प्रधानमंत्री से छह दिन पहले 75 वर्ष के हो जाएंगे। 75 साल की उम्र में रिटायर होने के सवाल पर भागवत ने कहा- मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए। हम वही करेंगे जो संघ हमें कहेगा।
पीएम-सीएम को जेल जाने पर पद से हटाने वाले नए बिल पर संघ प्रमुख ने कहा कि नेतृत्व-नेताओं की छवि साफ होना चाहिए। इस पर कानून बने या नहीं ये संसद तय करेगी।
RSS के 100 साल पूरे होने पर दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। आज कार्यक्रम का आखिरी दिन था, जिसमें प्रश्नोत्तर सत्र हुआ।
भागवत की स्पीच की मुख्य बातें…
अन्य राजनीतिक दलों के साथ संबंध: प्रणव मुखर्जी जब संघ के मंच पर आए तो संघ के प्रति उनकी गलतफहमी दूर हो गई थी। अन्य राजनैतिक दलों के भी मन परिवर्तन हो सकते हैं। अच्छे काम के लिए जो मदद मांगते हैं उन्हें मदद मिलती है। और यदि हम मदद करने जाते हैं और जो मदद नहीं लेना चाहते उन्हें मदद नहीं मिलती।
हिंदू-मुस्लिम एकता पर: नाम और शब्दों के झगड़े में हम नहीं पड़ते। इन शब्दों के कारण हिंदू-मुस्लिम की भावना आ गई है। हिंदू-मुस्लिम एकता की जरूरत नहीं है ये तो पहले से एक हैं। इनकी सिर्फ पूजा बदली है। लेकिन जो डर भर दिया है कि ये लोग रहेंगे तो क्या होगा, इतनी लड़ाई हुई, अत्याचार हुआ इतने कत्लेआम हुए, देश भी टूटा।
डेमोग्राफी में बदलाव पर: डेमोग्राफी की चिंता है। ये बदलती है तो देश का बंटवारा होता है। चिंता इसलिए भी होती है कि जनसंख्या से ज्यादा इरादा क्या है। धर्म अपनी चॉइस है। लोभ-लालच से धर्म नहीं बदला जाना चाहिए, इसे रोकना है।
घुसपैठ पर: ये सच है कि हम सबका डीएनए एक है। लेकिन देश अलग-अलग होते हैं। यूरोप में भी तीन-चार देश ऐसे हैं जिनके डीएनए एक हैं। लेकिन डीएनए एक होने का मतलब ये नहीं कि घुसपैठ की जाए, नियम-कानून तोड़कर नहीं आना चाहिए। परमिशन लेकर ही आना चाहिए। घुसपैठ को रोकना चाहिए। इसके लिए सरकार कोशिश कर रही है।
शहरों-रास्तों के नाम बदलने पर: शहरों और रास्तों के नाम बदलना वहां के लोगों की भावना के हिसाब से होना चाहिए। आक्रांताओं के नाम नहीं होने चाहिए। इसका मतलब ये नहीं कि मुसलमान का नाम नहीं होना चाहिए।
अखंड भारत पर: अखंड भारत एक राजनीतिक विचार नहीं है। क्योंकि अखंड भारत जब था तब भी अलग-अलग राजा थे लेकिन जनता किसी भी राज्य में जाकर नौकरी करता था और जीवनयापन करता था। अखंड भारत की भावना फिर से आ जाएगी तो सब सुखी रहेंगे और दोस्त बढ़ जाएंगे। अखंड भारत है ये समझकर हमको चलना चाहिए।
काशी-मथुरा आंदोलन पर: संघ किसी आंदोलन में नहीं जाता। सिर्फ राम मंदिर आंदोलन में शामिल हुए और उसे अंत तक ले गए। बाकी आंदोलनों में संघ नहीं जाएगा। लेकिन हिंदू मानस में काशी-मथुरा और अयोध्या तीनों का महत्व है। इसलिए हिंदू समाज इसका आग्रह करेगा।
हथियार बढ़ाने पर: संघ शांति की बात करता है, हम बुद्ध के देश हैं। लेकिन हथियार बढ़ाने का मतलब युद्ध करना नहीं है खुद की रक्षा करना भी है। क्योंकि दुनिया के सभी देश बुद्ध के देश नहीं हैं।
जनसंख्या के मुद्दे पर: जनसंख्या नीतियों की अनुशंसा की जाती है। परिवारों में तीन बच्चे होने चाहिए लेकिन इससे अधिक नहीं। इससे संतुलन बनाए रखने और समुचित विकास सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। अभी जन्म दर में गिरावट आ रही है और हिंदुओं में यह गिरावट तेजी से बढ़ रही है।
तकनीक और शिक्षा नीति पर: तकनीकी शिक्षा का विरोध नहीं है लेकिन नई तकनीक का सदुपयोग हो। हमारे यहां विदेशी शिक्षा लाई गई, जिससे हम अंग्रेजों के गुलाम बने रहें। नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा का कॉन्सेप्ट रखा गया है। जैसे कला, खेल और योग। अपनी संस्कृति की शिक्षा देना जरूरी है। इंग्लिश एक भाषा है, भाषा सीखने में समस्या नहीं होनी चाहिए। इंग्लिश के लिए हिंदी नहीं छोड़ना चाहिए। भारत को जानना है तो संस्कृत का ज्ञान जरूरी है।












