[metaslider id="6053"]

‘मैं भारी कीमत चुकाने को तैयार’, ट्रंप टैरिफ पर पीएम मोदी का रिएक्शन, कहा- किसानों के हित से समझौता नहीं

नई दिल्ली : अमेरिका से टैरिफ वॉर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के हक में बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी ने कहा है कि हमारे लिए किसानों के हितों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता ह।. भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि इसकी भारी कीमत उन्हें चुकानी पड़ेगी और वे इसके लिए तैयार हैं…” नई दिल्ली में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती पर खर्च कम करने के लिए लगातार काम कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। पीएम मोदी ने कहा कि देश में सोयाबीन, सरसों, मुंगफली का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, ”हमारे लिए किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों के और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा और मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप इसके लिए मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है।”

आज से अमेरिका का 25% टैरिफ लागू

अमेरिका से बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच पीएम मोदी का ये बयान यह दर्शाता है कि भारत अपने और अपने नागरिकों की हित की रक्षा के लिए कड़े फैसले उठा सकता है। बता दें कि अमेरिका की तरफ से भारी टैरिफ (7 अगस्त से 25 फीसदी लागू हो गया है, अतिरिक्त 25 फीसदी 27 अगस्त से लागू होगा) लगाए जाने को भारत ने अनुचित बताया है और कहा है कि इससे भारतीय किसानों को नुकसान पहुंचेगा। ऐसे माहौल में पीएम मोदी का यह बयान किसानों के हितों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। टैरिफ लागू होने से भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे। उनकी मांग कम हो सकती है। वहां के इंपोर्टर्स अन्य देशों से सामान मंगा सकते हैं।

शेयर बाजार पर टैरिफ का असर नहीं, रुपया भी मजबूत

शेयर बाजार

ट्रंप के टैरिफ का कोई बड़ा असर गुरुवार को शेयर बाजार में देखने को नहीं मिला। सिर्फ बाजार ही नहीं, बल्कि भारतीय करेंसी रुपया भी डॉलर के मुकाबले तेजी के साथ ओपन हुआ। Rupee, अमेरिकी डॉलर की तुलना में 3 पैसे की बढ़त के साथ 87.69 पर ओपन हुआ। शेयर बाजार की शुरुआत सुस्ती के साथ हुई। सेंसेक्स अपने पिछले बंद 80,543.99 की तुलना में 80,262 पर ओपन हुआ, लेकिन फिर तेज रिकवरी मोड में नजर आया और कुछ ही मिनटों में ट्रंप के टैरिफ डर को दरकिनार करते हुए 80,421 पर ट्रेड करने लगा। निफ्टी की भी चाल सेंसेक्स की तरह ही रही और ये भी 24574 के अपने पिछले बंद की तुलना में बेहद मामूली गिरावट के साथ 24,464 पर खुला और फिर अचानक 24,542 पर पहुंच गया। शेयर मार्केट में कारोबार की शुरुआत होने पर 751 कंपनियों के शेयरों ने गिरावट के साथ लाल निशान पर कारोबार की शुरुआत की थी, तो वहीं 1433 कंपनियों के स्टॉक्स ने गिरावट के साथ लाल निशान पर कारोबार शुरू किया. इसके अलावा 150 शेयरों की स्थिति में किसी भी तरह का कोई बदलाव देखने को नहीं मिला।

सीजफायर का क्रेडिट ना मिलने की खुन्नस निकाल रहे ट्रंप

मोदी1

ट्रंप टैरिफ कदम को एनालिस्ट ट्रंप की खुन्नस के तौर पर देख रहे हैं। साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगलमैन (Michael Kugelman) ने भारत और अमेरिका के बीच के स्ट्रैटेजिक संबंधों को बीते दो दशक का सबसे खराब संकट बताया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि दोनों देशों की पार्टनरशिप का यह सबसे खराब दौर है। इससे दोनों के रिश्ते रसातल तक पहुंच सकते हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप भारत जैसे अपने करीबी साझेदार पर भी अधिकतम दबाव बनाने से नहीं झिझकता। ट्रंप चाहते हैं कि भारत किसी तरह से रूस से कच्चा तेल खरीदना कम कर दे। इससे रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मदद मिल रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के संबंध बहुआयामी हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों देश एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में रिश्तों में उतार-चढ़ाव जायज है। यह पूछे जाने पर कि रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को नहीं बल्कि भारत को सजा देने का फैसला क्यों किया? इसका जवाब देते हुए कुगलमैन ने कहा कि भारत ने जो किया, वो चीन ने नहीं किया। चीन ने सीजफायर कराने में राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिका पर सवाल खड़े नहीं किए लेकिन भारत ने किए। इसलिए मुझे लगता है कि ट्रंप ने ट्रेड की आड़ में भारत पर अपनी खुन्नस निकाली है। यह हालांकि, दोहरा मापदंड है, पाखंड है.. फिर इसे जो चाहे कह लें।

ghanty

Leave a comment