नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 126वें एपिसोड में कहा कि भारतीय संस्कृति और त्योहारों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाना जरूरी है. पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ समय पहले, भारत सरकार के प्रयासों से कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की सूची में शामिल हुई. अगर हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को ऐसे वैश्विक सम्मान दें, तो दुनिया उन्हें जान पाएगी, समझ पाएगी और इसमें भाग लेने के लिए आगे आएगी. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भारतीय संस्कृति और त्योहारों को बढ़ावा देने का आह्वान भी किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार छठ पर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए काम कर रही है.
पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि कुछ ही दिनों में हम विजयदशमी मनाने वाले हैं, इस बार विजयदशमी एक और वजह से बहुत विशेष है. इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. एक शताब्दी की यह यात्रा जितनी अद्भुत है, अभूतपूर्व है उतनी ही प्रेरक भी है.
उन्होंने कहा कि आज से 100 साल पहले जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी, तब देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था, सदियों की इस गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी. विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा किया गया था. देशवासी हीनभावना का शिकार होने लगे थे, इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो.
ऐसे में डॉ. हेडगेवार ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयदशमी के पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. डॉक्टर हेडगेवार के निधन के बाद गुरुजी गोलवलकर ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया.
गुरुजी कहा करते थे कि “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” यानी, ये मेरा नहीं है, ये राष्ट्र का है. इसमें स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा है. गुरुजी गोलवलकर के इस वाक्य ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा की राह दिखाई है. त्याग, सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है.