पांडवेश्वर विधानसभा के बूथ नंबर 47 से एक ऐसा चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है जिसने पूरे चुनाव तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ही एन्यूमरेशन फ़ॉर्म का QR कोड स्कैन करते ही पता चला कि मायारानी गोस्वामी नाम की एक ही महिला की पहचान का इस्तेमाल कर 44 अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में उसका नाम जोड़ा गया है।
🔍 नाम वही, पहचान 44 — हर सूची में अलग उम्र, अलग सरनेम!
जांच में सामने आया कि—
• किसी सूची में मायारानी राय, कहीं मंडल, कहीं घोष, तो कहीं नैया कर दी गईं।
• उम्र भी हर जगह अलग—कहीं 28, कहीं 34, कहीं 42!
• इस पूरी जालसाज़ी से मायारानी पूरी तरह अनजान थीं।
मायारानी, जो एक असहाय विधवा हैं और घरों में खाना बनाकर गुज़ारा करती हैं, कहती हैं—
“मुझे तो पता भी नहीं कि मेरा नाम कहाँ-कहाँ है। मैं तो बस अपना काम करती हूँ।”
यह सुनकर स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है।
⚠️ यह गलती नहीं, संगठित जालसाज़ी गिरोह — विशेषज्ञों का दावा
चुनाव विशेषज्ञों ने साफ कहा—
“एक स्कैन में 44 फर्जी पहचान मिलना ‘टाइपो’ नहीं, बल्कि किसी संगठित रैकेट का परिणाम है। ऐसे मामलों में अंदरूनी मिलीभगत के बिना यह संभव ही नहीं।”
इलाके में चर्चा है कि अब तक के सभी SIR और फॉर्म अपडेट की प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठेंगे।
🔥 राजनीतिक घमासान तेज
🟧 भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी का हमला:
“यह तो सिर्फ एक बूथ से निकला है। बिना SIR चेक यह घोटाला सामने ही नहीं आता।
यह संगठित फर्जीवाड़ा है—इसकी हाई-लेवल जांच ज़रूरी है।”
🟦 टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद का पलटवार:
“यह भाजपा की साज़िश है ताकि भ्रम फैलाया जा सके।
चुनाव आयोग राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है।”
दोनों दलों के तीखे बयान से माहौल और गर्म हो गया है।
🚨 स्थानीय प्रशासन सक्रिय, बड़ी जांच की तैयारी
जिले के अधिकारियों के अनुसार—
फर्जी पहचान, QR कोड मैपिंग, और वोटर एंट्री की तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।
संभावना है कि इस मामले में कई लोगों पर FIR दर्ज हो सकती है।
🧨 यह सिर्फ शुरुआत?—इलाके में डर: “अगर एक मायारानी के 44 नाम हैं, तो बाकी का क्या?”
लोगों का सवाल है—
“अगर एक फॉर्म में 44 पहचानें हैं तो पूरे विधानसभा में कितने हज़ार फर्जी वोट होंगे?”
पांडवेश्वर में यह मामला चुनावी माहौल में एक बड़ी हलचल पैदा कर चुका है।












