पानागढ़: पानागढ़ दुर्घटना मामले में एक नया मोड़ आया है। कोलकाता की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तीन वरिष्ठ पत्रकारों और उनके दुर्गापुर प्रतिनिधि पर कांकसा थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुलिस की इस कार्रवाई से मीडिया जगत में हड़कंप मच गया है।
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि एफआईआर किन धाराओं में दर्ज की गई है और पत्रकारों पर क्या आरोप लगाए गए हैं। लेकिन इस मामले ने प्रेस की स्वतंत्रता और पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
🔹 पानागढ़ हादसा: क्या है पूरा मामला?

🔸 हाल ही में पानागढ़ में हुई दुर्घटना को लेकर इन पत्रकारों ने रिपोर्टिंग की थी।
🔸 रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस को उनकी कवरेज पर आपत्ति थी, जिसके बाद यह मामला सामने आया।
🔸 एफआईआर दर्ज होते ही पत्रकार संगठनों और मीडिया संस्थानों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
🔹 पत्रकारों पर FIR: मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल?

🔹 क्या यह प्रेस की आजादी पर हमला है या फिर पत्रकारिता की मर्यादा से जुड़ा मामला?
🔹 क्या इस एफआईआर के पीछे कोई राजनीतिक दबाव है?
🔹 क्या इस तरह की कार्रवाई से निष्पक्ष पत्रकारिता पर खतरा बढ़ेगा?
🔹 क्या बोले पत्रकार और प्रशासन?

🗣️ मीडिया संगठनों का कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
🗣️ वहीं, पुलिस का तर्क है कि उन्होंने नियमों के दायरे में रहकर कार्रवाई की है।
🗣️ अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही आरोपों से जुड़ी पूरी जानकारी सामने लाई जाएगी।
इस घटना पर आपकी क्या राय है? क्या मीडिया को स्वतंत्र रूप से कार्य करने देना चाहिए, या फिर कुछ सीमाएं जरूरी हैं?