Gen-Z revolution: नेपाल के संसद में घुसे प्रदर्शनकारी, तोड़फोड़-आगजनी, सेना की फायरिंग में 16 की मौत

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काठमांडू : नेपाल में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 16 लोगों की मौत हो गई. नेपाल पुलिस ने इसकी पुष्टि की है. 100 से ज्यादा युवा घायल भी हुए. इस प्रदर्शन की अगुआई Gen- Z यानी 18 से 30 साल के युवा कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर बैन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ 12 हजार से ज्यादा युवा प्रदर्शनकारी सोमवार सुबह संसद भवन परिसर में घुस गए थे, जिसके बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की. नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला है.

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया. इसके बाद संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम आवास के पास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है. काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वाले को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं.

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राजधानी काठमांडू की सड़कों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद परिसर में घुस गए. इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की. काठमांडू में कर्फ्यू का आदेश जारी कर दिया गया है. इसके तहत चार जिलों में किसी के भी प्रवेश या निकास, किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, प्रदर्शन, सभा, बैठक या घेराबंदी करने पर प्रतिबंध है.

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वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि SSB ने भारत नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा में SSB तैनात है. SSB ने सुरक्षाकर्मियों और सर्विलांस बढ़ा दिया है. काठमांडू के मेयर ने युवाओं के इस प्रोटेस्ट को अपना समर्थन पहले ही दे दिया है. वहीं, प्रधानमंत्री ओली का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि युवाओं को ये पता होगा कि कानून का उल्लंघन करने का क्या खामियाजा भुगतना पड़ता है. नेपाल की कई मशहूर सेलिब्रिटिज ने प्रदर्शनकारियों का सपोर्ट किया है. एक्टर मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने फेसबुक पर युवाओं की तारीफ की. इधर, विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है. यह बैठक बलुवाटार स्थित प्रधानमंत्री आवास पर हुई. सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हैं.

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प्रदर्शनकारियों ने नेपाल सरकार पर दमन के आरोप लगाए हैं. एक प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध करना चाहते थे, लेकिन आगे बढ़ने पर देखा कि पुलिस हमला कर रही थी और लोगों पर गोली चला रही थी. सत्ता में बैठे लोग अपनी ताकत हम पर नहीं थोप सकते. भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन दबाए जा रहे हैं, जो बोलने की आजादी और अभिव्यक्ति के अधिकार के खिलाफ है.

नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन?

नेपाल सरकार ने चार सितंबर को फेसबुक, X, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया है क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था. सरकार ने 2024 में एक नया कानून लागू किया था, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में ऑपरेशन के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी है और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य था.

इस नियम का पालन नहीं करने पर सरकार ने यह कदम उठाया है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर अनियंत्रित कंटेंट जैसे फर्जी खबरें, उकसाने वाले कंटेंट और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी था. हालांकि, इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई है क्योंकि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है. कई लोगों का मानना है कि यह प्रतिबंध राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने का प्रयास हो सकता है, जो हाल के महीनों में बढ़े हैं.

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सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पर लगा ये बैन तभी हटेगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोल लें, सरकार के समक्ष पंजीकरण कराएं और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाएं. नेपाल में अब तक सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव ने ही कंपनी रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराया है.

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