आसनसोल | 26 मई 2025 | विशेष रिपोर्ट
“मैं विद्रोही, मैं पुकार हूँ, मैं क्रांति की चिंगारी हूँ!”
स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत और “विद्रोही कवि” के नाम से प्रसिद्ध काज़ी नज़रुल इस्लाम की जयंती पर आसनसोल नगर निगम द्वारा सोमवार को एक भावभीनी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। आश्रम मोड़ पर स्थित उनकी प्रतिमा पर नगर के गणमान्य व्यक्तियों और नागरिकों ने माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।
✍️ कविता से क्रांति तक: नज़रुल की अमर विरासत
कार्यक्रम की शुरुआत नगर निगम चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी, मेयर परिषद सदस्य गुरदास चटर्जी, और कई पार्षदों की उपस्थिति में हुई। वक्ताओं ने नज़रुल को केवल एक कवि नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और मानवीयता की आवाज बताया।
🎶 सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गूंजा ‘विद्रोही गीत’
इस अवसर पर स्थानीय छात्रों और कलाकारों ने कवि की प्रसिद्ध रचनाओं का पाठ और संगीत प्रस्तुति दी। ‘विद्रोही’, ‘चल्लो उठो’ जैसी कविताएं सुनते ही उपस्थित लोग भावविभोर हो उठे। कला और साहित्य के माध्यम से नज़रुल के विचारों को जीवंत करने की अनूठी कोशिश की गई।
💬 नज़रुल की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही तीव्र
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि नज़रुल के विचार आज के सामाजिक परिदृश्य में और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गए हैं।
“उनकी लेखनी में आग थी, उनके शब्दों में विद्रोह था, और उनके विचारों में मानवता बसती थी।”
🙏 नज़रुल केवल अतीत नहीं, एक प्रेरक वर्तमान हैं
नगर निगम द्वारा आयोजित यह श्रद्धांजलि न सिर्फ एक कवि के प्रति सम्मान था, बल्कि एक आंदोलनकारी विचारधारा को संजोने का संकल्प भी था।
“नज़रुल मर नहीं सकते, क्योंकि अन्याय के विरुद्ध उठी हर आवाज़ में उनका अंश है।”