डेडलाइन के पहले मार गिराया गया सुकमा का खौफ एक करोड़ी नक्सली कमांडर हिड़मा

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👉 76 CRPF जवानों की हत्या का था मास्टरमाइंड, शाह ने दिया था खात्मे का निर्देश, पत्नी सहित छह और नक्सलियों के भी शव बरामद

सुकमा : नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। दरअसल सुरक्षाबलों ने मंगलवार सुबह छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर हुई एक मुठभेड़ में देश के सबसे खतरनाक और वांछित नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा को ढेर कर दिया। माओवादियों को यह हाल के वर्षों में लगा सबसे बड़ा झटका है और दावा किया जा रहा है कि माड़वी हिड़मा की मौत के बाद अब देश में नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू हो सकती है।

कौन था माड़वी हिड़मा?

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में जन्में माड़वी हिड़मा ने 16 साल की उम्र में ही हथियार उठा लिए थे और बतौर कैडर शुरुआत करके माड़वी हिड़मा बीते दो दशकों में प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) में कई अहम पदों पर रहा। हिड़मा कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था और उस पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था।

माड़वी हिड़मा सीपीआई माओवादियों की बटालियन नंबर एक का कमांडर था, जो नक्सलियों की सबसे खतरनाक सैन्य टुकड़ी मानी जाती है। हिडमा दंडकारण्य क्षेत्र के घने जंगलों में रहता था और उसे अबूझमाड़ और सुकमा-बीजापुर के वन क्षेत्रों की काफी जानकारी थी। यही वजह थी कि कई कोशिशों के बाद भी हिडमा लंबे समय तक सुरक्षाबलों से बचता रहा। हिडमा फिलहाल बस्तर दक्षिण इलाके में सक्रिय था।

दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर हमले समेत कई बड़े हमलों का था मास्टरमाइंड

हिड़मा कितना खतरनाक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल के वर्षों के अधिकतर बड़े नक्सली हमलों में उसकी संलिप्तता थी फिर चाहे वो साल 2010 में दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर हुआ हमला हो, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान बलिदान हुए थे या फिर दरभा घाटी में झीरम घाटी का हमला, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूरे कांग्रेस नेतृत्व को खत्म कर दिया गया था। साल 2017 में सुकमा में हुए दो हमलों, जिनमें 37 जवानों की मौत हुई थी और 2021 के बीजापुर में तर्रेम हमले में भी माड़वी हिड़मा का नाम सामने आया था। सुरक्षाबलों का दावा है कि अप्रैल 2025 में कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर हुई मुठभेड़ में हिड़मा बाल-बाल बच गया था। उस मुठभेड़ में 31 माओवादी मारे गए थे।

नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू

बस्तर रेंज के आईजीपी सुंदरराज पी का कहना है कि माड़वी हिड़मा की मौत नक्सलवाद के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि कई कुख्यात माओवादी हाल के समय में ढेर हो चुके हैं और कई मुख्य धारा में शामिल हो गए हैं। अब बाकी बचे नक्सली कमांडरों से भी आत्मसमर्पण की अपील की जाएगी और जो अभी भी हिंसा के रास्ते पर चलेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिडमा की मौत से बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। सरकार ने साल 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य तय किया और माड़वी हिड़मा की मौत उस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि हिडमा की मौत के साथ ही देश में नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू हो सकती है।

कैसे हुआ ऑपरेशन

मंगलवार की सुबह छह से सात बजे के करीब छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर हुई मुठभेड़ में खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा मारा गया। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेदुमिल्ली के पास सुबह-सुबह हुई मुठभेड़ में हिड़मा समेत कुल छह नक्सली मारे गये। इस मुठभेड़ में उसकी पत्नी राजे उर्फ रजक्का भी ढेर हो गई।

अमित शाह ने तय किया था खात्मे का डेडलाइन

एक करोड़ का इनामी कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा, जो सुरक्षा बलों पर सशस्त्र हमलों के कई मामलों में वांछित शीर्ष नक्सली कैडरों में से एक था। उसके मारे जाने की पुष्टि के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शीर्ष अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। सूत्रों के अनुसार, हिड़मा का खात्मा सुरक्षा बलों की ओर से तय 30 नवंबर 2025 की समय सीमा से काफी पहले हो गया।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर संतोष व्यक्त किया और इस अभियान में शामिल सभी अधिकारियों और जवानों की सराहना की। उन्होंने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर भी चर्चा की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मांदवी हिड़मा के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन में कोई नई नेतृत्व उभर न सके और उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।

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