रिपोर्ट: सौरव शर्मा | पांडेश्वर, पश्चिम बंगाल : जब पूरी दुनिया 1 मई को मजदूर दिवस को गरिमा और जोश के साथ मना रही थी, तब कोयला खनन का गढ़ पांडेश्वर इस बार मायूस नजर आया। पहली बार यहां श्रमिक दिवस का आयोजन नहीं हो पाया, जिससे मजदूरों में भारी आक्रोश और सियासी बवाल मच गया है।
🚫 क्या हुआ पांडेश्वर में?
हर साल की तरह इस साल भी स्थानीय श्रमिक संगठनों द्वारा जनसभा और सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी की गई थी, लेकिन पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। आयोजकों का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में यह निर्णय लिया गया, ताकि मजदूरों की आवाज को दबाया जा सके।
🗣️ जितेंद्र तिवारी का हमला:
पांडेश्वर के पूर्व विधायक और भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने कहा:
“यह शर्मनाक है कि जब पूरी दुनिया में श्रमिकों को सम्मान मिल रहा है, तब पांडेश्वर में उनका मौलिक अधिकार छीन लिया गया। यह तृणमूल कांग्रेस की मजदूर विरोधी सोच को दर्शाता है।”
उन्होंने सीधे तौर पर टीएमसी जिला अध्यक्ष नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती पर आरोप लगाया कि उन्होंने राजनीतिक दबाव बनाकर कार्यक्रम रुकवाया।
👷 मजदूर संगठनों का रोष:
- “यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संघर्ष की मिसाल है।”
- “सरकारें बदलती हैं, लेकिन मजदूरों की अनदेखी नहीं रुकती।”
🔥 स्थानीय प्रतिक्रिया:
- मजदूरों ने इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
- सोशल मीडिया पर भी “#LabourDayBan” ट्रेंड कर रहा है।
🔕 तृणमूल की चुप्पी:
अब तक टीएमसी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में भारी हलचल और बहस जारी है।