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“स्थानीयों को काम दो, नहीं तो खदान बंद करो!” – कुल्टी में गूंजे नारे

आसनसोल:
पश्चिम बर्धमान जिले के कुल्टी स्थित चिनाकुड़ी निजी कोयला खदान गुरुवार को तब आंदोलन का केंद्र बन गई जब स्थानीय ग्रामीणों ने 55 हटाए गए श्रमिकों की पुनर्बहाली और क्षेत्रीय युवाओं को नौकरी देने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।

गांव की कई समितियों ने मिलकर इस प्रदर्शन को संगठित किया, जिससे पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया। विरोध कर रहे लोगों ने खदान के मुख्य द्वार पर धरना दिया और “स्थानीयों को रोजगार दो, नहीं तो खदान बंद करो!” जैसे नारों से गूंज उठा इलाका।

🔴 क्या है पूरा मामला?

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस खदान में पहले 55 स्थानीय मजदूर नियमित रूप से कार्यरत थे, लेकिन अचानक एकतरफा फैसला लेकर प्रबंधन ने सभी को हटा दिया। इससे इन परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा गया है।

“हम अपने घर के पास खदान में भी काम नहीं पा सकते, तो और कहां जाएंगे?”
– एक प्रदर्शनकारी महिला की आंखों में आंसू और आवाज में आक्रोश

🚨 प्रदर्शनकारियों की 3 बड़ी मांगें:

  1. 55 हटाए गए मजदूरों को तत्काल पुनः बहाल किया जाए।
  2. स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जाए।
  3. जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, विरोध जारी रहेगा।

😶 प्रबंधन की चुप्पी से और भड़के ग्रामीण

अब तक कोल माइन प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, जिससे लोगों में नाराजगी और बढ़ गई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा, और खदान के गेट को पूरी तरह जाम कर दिया जाएगा।

🧨 यह सिर्फ विरोध नहीं, अधिकार की लड़ाई है!

विशेषज्ञों का मानना है कि निजी खदानों में स्थानीय लोगों को नजरअंदाज करना एक सामान्य प्रवृत्ति बनती जा रही है, जो भविष्य में सामाजिक टकराव को जन्म दे सकती है। कुल्टी का यह मामला भी इसी दिशा की चेतावनी है।

ghanty

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