चुरुलिया, जमुरिया (पश्चिम बर्धमान):
प्रख्यात क्रांतिकारी कवि काजी नजरुल इस्लाम की जन्मस्थली चुरुलिया एक बार फिर सुर्खियों में है — इस बार उनकी विरासत के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। सोमवार को चुरुलिया में एक पत्रकार सम्मेलन आयोजित कर कवि के परिजनों और स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध जताया।
📢 क्या है मामला?
नजरुल इस्लाम संग्रहालय में रखे गए कवि के निजी वस्त्र, पांडुलिपियाँ, तस्वीरें और अन्य धरोहरों को कथित तौर पर आसनसोल काजी नजरुल इस्लाम विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है। इस खबर से गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई।
कवि के परिवारजनों का कहना है —
“काजी नजरुल की आत्मा चुरुलिया में बसती है। उनकी यादें यहीं रहनी चाहिए। अगर इन्हें यहां से हटाया गया, तो यह उनकी जन्मभूमि का अपमान होगा।”
⚠️ परिवार और ग्रामीणों की चेतावनी
परिजनों ने राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन से तत्काल इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो चुरुलिया गांव में बड़ा जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।
🎙️ बुद्धिजीवियों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की भी चिंता
स्थानीय लेखकों, इतिहासकारों और संस्कृति प्रेमियों का मानना है कि
“नजरुल की विरासत को वहां सुरक्षित रखना चाहिए, जहां उन्होंने सांस ली, संघर्ष किया और जनचेतना जगाई।”
उनका कहना है कि संग्रहालय सिर्फ वस्तुओं का भंडार नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा स्थल है — जिसे स्थानांतरित करना गांव के ऐतिहासिक अस्तित्व को मिटा देना होगा।