कांकसा, पश्चिम बर्दवान – 14 अगस्त 1947… आज़ादी से ठीक एक दिन पहले, वह दिन जिसने हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों के दिल में दर्द का एक ऐसा ज़ख्म दे दिया, जो आज भी ताज़ा है। देश के विभाजन ने लाखों परिवारों को उजाड़ दिया। लोग अपने घर-आंगन, खेत-खलिहान छोड़कर अनजान धरती पर शरण लेने को मजबूर हो गए। ज़ुल्म और अत्याचार के बीच लाखों ने अपने प्रियजनों को खो दिया।
इसी विभाजन की विभीषिका को याद करते हुए और षड्यंत्रपूर्वक हुए देश के बंटवारे के खिलाफ़, गुरुवार को कांकसा के मिनी बाज़ार से बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने ‘काला दिवस’ के अवसर पर मौन मार्च निकाला। यह मौन मিছিল मिनी बाज़ार से शुरू होकर डाकबंगला मोड़ तक पहुंचा, जहां विभाजन के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस दौरान कार्यकर्ताओं के हाथों में काले झंडे, पोस्टर और प्लेकार्ड थे, जिन पर लिखा था—
“हम नहीं भूलेंगे 14 अगस्त 1947”,
“विभाजन – एक साज़िश” और
“पीड़ितों को न्याय कब?”
कार्यक्रम में बीजेपी के बर्दवान सदर ज़िला उपाध्यक्ष रमन शर्मा, गालसी 6 नंबर मंडल अध्यक्ष प्रशांत राय, बीजेपी नेता पंकज जायसवाल, आनंद कुमार, परितोष विश्वास समेत दर्जनों कार्यकर्ता और स्थानीय लोग शामिल हुए।
रमन शर्मा ने कहा, “14 अगस्त सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि भारत की उस त्रासदी की याद है जिसने हमें तोड़ने की कोशिश की। हमें इस दिन को हमेशा याद रखना चाहिए ताकि इतिहास खुद को दोहराए नहीं।”
स्थानीय लोगों ने भी इस मौन मार्च में शामिल होकर विभाजन में जान गंवाने वाले लाखों शहीदों और पीड़ितों को नमन किया।