कोलकाता/आर.जी.कर (रिपोर्ट: दिलीप सिंह)
ठीक एक साल पहले आर.जी.कर अस्पताल की युवा डॉक्टर डॉ. अभया की दरिंदगी भरी हत्या और बलात्कार ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस घटना के खिलाफ उठे आक्रोश ने समाज और राजनीति दोनों को हिला दिया। लेकिन अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
दरअसल, “जस्टिस फोरम” (धनंजय चटर्जी केस रिट्रायल फोरम) ने खुलकर “वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट” पर करप्शन का आरोप लगाया है।
🚨 आंदोलन की आड़ में करोड़ों का खेल?
जस्टिस फोरम के सदस्यों का कहना है कि डॉ. अभया के लिए चले आंदोलन के नाम पर जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने क्राउड फंडिंग के जरिए करीब चार करोड़ रुपये इकट्ठा किए, लेकिन उसका हिसाब पारदर्शी नहीं है।
👉 लगभग डेढ़ करोड़ रुपये के खर्च के कोई सही बिल मौजूद नहीं हैं।
👉 बाकी ढाई करोड़ रुपये का कोई अता-पता नहीं है।
👉 यहां तक कि मूर्तिकार असित साई, जिन्होंने अभया की प्रतिमा मुफ्त में बनाई थी, उनके नाम पर भी नकली बिल पेश किया गया।
😡 आंदोलन या निजी प्रैक्टिस का धंधा?
जस्टिस फोरम का आरोप है कि आंदोलन के दौरान डॉक्टरों ने ड्यूटी छोड़ दी, जिससे कई गरीब मरीजों की मौत हो गई। लेकिन दूसरी ओर वही डॉक्टर अपने प्राइवेट प्रैक्टिस से मोटी कमाई करते रहे।
सदस्यों ने तंज कसते हुए कहा—
“गली-मोहल्ले का गुंडा अगर रंगदारी से पैसा खाता है तो बात समझ में आती है, लेकिन अगर कोई डॉक्टर एक डॉक्टर की मौत पर ही पैसा कमाए तो पूरी मानवता शर्मसार हो जाती है।”
🔎 भविष्य में संगठित अपराध से जुड़ने का शक
जस्टिस फोरम के सदस्यों ने आशंका जताई है कि इस तरह की बेईमानी करने वाले डॉक्टर भविष्य में किडनी तस्करी, ऑर्गन ट्रैफिकिंग और नकली दवा गिरोह जैसे अपराधों में भी शामिल हो सकते हैं।
✍ मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक को दी शिकायत
फोरम की सदस्य अनामिका मंडल और स्वपन दास ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस, कानून मंत्री मलय घटक और अस्पताल प्रशासन को लिखित शिकायत सौंपी है।
फोरम की सदस्य गीतांजलि सेन का कहना है कि यह आंदोलन अब केवल अस्पताल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले दिनों में यह आवाज पूरे भारत में गूंजेगी।