आसनसोल, पश्चिम बर्धमान:
जहां एक ओर आसनसोल नगर निगम अरण्य सप्ताह के तहत हरियाली अभियान चला रहा है, वहीं दूसरी ओर जमुरिया के मंगलपुर इलाके में मौजूद औद्योगिक इकाइयों से उठता काला जहरीला धुआं स्थानीय निवासियों के जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। इस विरोधाभास ने प्रशासन की नीयत और प्राथमिकताओं पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि
“हम हर दिन जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। बच्चे बीमार हो रहे हैं, बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ है, और घरों की दीवारें तक कालिख से भर गई हैं।”
इन कारखानों की चिमनियों से उठते धुएं के कारण क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों को खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।
जब इस गंभीर मुद्दे पर नगर निगम के डिप्टी मेयर वसीमुल हक से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा:
“हम कारखानों को बंद नहीं कर सकते क्योंकि इससे हजारों श्रमिकों की रोज़ी-रोटी जुड़ी हुई है। लेकिन हम जिला और राज्य स्तर पर बैठकों के माध्यम से इसका समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।”
🌿 सवाल ये उठता है:
- क्या रोजगार की कीमत पर जनता को दमघोंटू हवा में जीने के लिए मजबूर किया जा सकता है?
- क्या प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाए बिना उद्योग चलाना नैतिक है?
- क्या पौधारोपण केवल एक दिखावा बनकर रह गया है?












