दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल:
दुर्गापुर की पावन भूमि आज हरि नाम से गूंज उठी जब इस्कॉन मंदिर से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की भव्य रथयात्रा निकली। यह वही परंपरा है जिसे द्वापर युग से लेकर कलियुग तक पूरी आस्था और श्रद्धा से निभाया जाता रहा है।
इस वर्ष, पहली बार राढ़ बंग क्षेत्र में तालध्वज रथ में बलराम, दरपदलन में सुभद्रा और नंदी घोष रथ में भगवान जगन्नाथ विराजमान हुए। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर और रथ मार्ग पर जुट गई थी।
🚩 रथयात्रा की विशेषताएं:
- रथों को पारंपरिक लकड़ी से सजाया गया, जो पूरी तरह हाथों से निर्मित हैं।
- हर रथ के साथ गूंजती रही मृदंग, करताल और संकीर्तन की धुनें।
- भक्तों ने “हरे कृष्णा हरे राम” के जयघोषों के साथ रथ की रस्सी खींची।
🎤 गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति:
इस मौके पर राज्य के पंचायत, ग्रामोन्नयन एवं सहकारिता मंत्री प्रदीप मजूमदार, महकुमा शासक सौरव चट्टोपाध्याय और दुर्गापुर इस्पात कारखाने के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। उन्होंने भगवान का आशीर्वाद लेकर रथ की रस्सी खींची और आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
🌸 श्रद्धालुओं में उल्लास:
साल भर इस रथयात्रा की प्रतीक्षा करने वाले भक्तों ने पूरे जोश और श्रद्धा से भगवान के दर्शन किए। कई श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में थिरकते और गाते हुए यात्रा में शामिल हुए।
🔚 निष्कर्ष:
दुर्गापुर में निकली यह रथयात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और परंपरा का जीवंत संगम बन गई। भक्तों की आंखों में श्रद्धा की चमक और दिलों में ईश्वर का नाम गूंजता रहा।