इंटरनेशनल चाइल्ड डिसएबिलिटी डे: आसनसोल की सड़कों पर उमड़ा सम्मान और संवेदना का सैलाब

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इंटरनेशनल चाइल्ड डिसएबिलिटी डे के अवसर पर बुधवार को आसनसोल की सड़कों पर संवेदना, सम्मान और जागरूकता की अनोखी मिसाल देखने को मिली। शहर के कई स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों ने मिलकर दिव्यांग बच्चों के अधिकार, सम्मान और उनके प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बड़ी रैली निकाली। रंग-बिरंगे पोस्टर, प्रेरणादायक स्लोगन और बच्चों की मुस्कुराहटों ने शहर का माहौल पूरी तरह बदल दिया।

चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी ने दी भावनात्मक संदेश

रैली में शामिल हुए आसनसोल नगर निगम के चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी ने कहा—
“आज इंटरनेशनल चाइल्ड डिसएबिलिटी डे पर हम हर दिव्यांग बच्चे के साथ खड़े हैं। वे किसी से कम नहीं हैं। हमें अपनी सोच बदलकर इन्हें सामान्य जीवन देने में पूरी तरह सहयोग करना चाहिए।”

उन्होंने दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को नमन करते हुए कहा—
“इन बच्चों के माता-पिता समाज के असली योद्धा हैं। वे जिस धैर्य और समर्पण से अपने बच्चों को संभालते हैं, वह काबिले-तारीफ है।”

स्कूल–कॉलेज छात्रों की बड़ी भागीदारी

रैली में शहर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों के शिक्षक और हजारों छात्र शामिल हुए। छात्र हाथों में प्लेकार्ड लेकर चल रहे थे, जिन पर लिखा था—

  • “Respect Their Ability, Not Disability”
  • “Every Child is Special”
  • “Inclusion is Everyone’s Right”

पैरेंट्स और स्थानीय नागरिकों ने भी तालियों से बच्चों का उत्साह बढ़ाया। कई लोगों ने दिव्यांग बच्चों के साथ फोटो खिंचाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर एक सकारात्मक अभियान को आगे बढ़ाया।

सामाजिक संगठनों ने आगे बढ़ाया अभियान

सिटी यूथ फाउंडेशन, ह्यूमन केयर सोसाइटी और कई स्थानीय समूहों ने दिव्यांग बच्चों के लिए सहायक उपकरण, अध्ययन सामग्री और प्रेरणादायक किताबें वितरित कीं।
कुछ संगठनों ने आने वाले महीनों में दिव्यांग बच्चों के लिए ‘Talent Hunt Program’, स्पेशल स्पोर्ट्स कैंप और कौशल विकास वर्कशॉप आयोजित करने की घोषणा भी की।

आसनसोल ने दिया बड़ा संदेश

इस रैली ने एक बार फिर साबित किया कि आसनसोल न सिर्फ उद्योग और विकास का शहर है, बल्कि संवेदनशीलता और इंसानियत का शहर भी है।
लोगों ने एक स्वर में कहा—
“दिव्यांग नहीं, दिव्य-समर्थ… ये बच्चे ही असली प्रेरणा हैं!”

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