रानीगंज थाना अंतर्गत हाड़भंगा गांव एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह है अवैध बालू तस्करी और उसके खिलाफ ग्रामीणों का उग्र आंदोलन। दामोदर नदी से रात-दिन धड़ल्ले से हो रही बालू की निकासी ने गांव को मानो संकटग्रस्त बना दिया है।
🚨 भारी ट्रकों से हिलती ज़िंदगी, टूटती सड़कें
गांव के मुख्य मार्गों से होकर लगातार गुजरने वाले भारी ट्रकों से हाड़भंगा ब्रिज पर दरारें आ चुकी हैं, और सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रात में घरों की दीवारें तक ट्रकों के कंपन से कांप उठती हैं।
👦 “बच्चे स्कूल से ज्यादा डर से जागते हैं” – एक मां की पीड़ा
एक महिला ने कहा, “मेरे बच्चे हर सुबह डर के साए में स्कूल जाते हैं। कहीं ट्रक की चपेट में न आ जाएं, यही सोचकर दिल बैठा रहता है।”
🗣️ तृणमूल नेता रमाशंकर सिंह का आरोप – प्रशासन बेखबर, नेताओं को भेजे वीडियो
स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता रमाशंकर सिंह ने बताया कि उन्होंने वीडियो फुटेज, फोटो और सबूतों के साथ प्रशासन और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इस अवैध कारोबार की जानकारी दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
🚛 ग्रामीणों ने भरे ट्रकों को सड़क पर एक घंटे तक रोका
गुस्साए ग्रामीणों ने बुधवार को दामोदर नदी से लौट रहे बालू से लदे ट्रकों को रोक कर जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन प्रशासन को जगाने की आखिरी कोशिश है, वरना आंदोलन और उग्र होगा।
📜 चालान में हेराफेरी का बड़ा आरोप
स्थानीय निवासी विश्वजीत बावरी ने बताया, “बालू तो हाड़भंगा से निकल रहा है, लेकिन चालान बांकुरा का बनाया जा रहा है। इससे साफ है कि तस्करी संगठित और सुनियोजित तरीके से हो रही है।”
🌊 प्राकृतिक संकट भी गहराया – जलस्तर गिरा, बीमारियों का डर
बालू निकासी से जलधाराओं का बहाव बदल गया है, जिससे भूजल स्तर गिरने लगा है। साथ ही, चारों तरफ उड़ती धूल और बालू से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
⚠️ ग्रामवासियों की चेतावनी – जब तक कारोबार बंद नहीं, आंदोलन जारी रहेगा!
ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा है कि अगर अवैध बालू तस्करी बंद नहीं हुई, तो वो सड़कों पर उतरने को मजबूर रहेंगे। “यह लड़ाई अब जीवन और मौत की है,” – ग्रामीणों ने स्पष्ट शब्दों में चेताया।
📌 यह आंदोलन केवल अवैध तस्करी के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने गांव, बच्चों और जीवन की सुरक्षा के लिए उठाई गई आवाज़ है। अब प्रशासन को जवाब देना होगा।