आसनसोल: इस्को सेल फैक्ट्री के ट्रेनिंग सेंटर में तृणमूल पार्षद अशोक रूद्र द्वारा कथित रूप से हिंदी भाषी श्रमिकों को अपमानित करने का मामला अब राजनीतिक रूप से विस्फोटक रूप ले चुका है। पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में बसे हिंदी भाषी समुदाय के नेताओं ने इस बयान के खिलाफ जोरदार विरोध जताया है।
📢 “हिंदी बोलना अब गुनाह है क्या?” — नेता मदन चौबे का सवाल
हिंदी भाषी समाज के प्रभावशाली नेता मदन चौबे और ओम नारायण ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा:
“हमारे समाज के श्रमिकों को ट्रेनिंग सेंटर से हटाने की धमकी देकर अशोक रूद्र ने न केवल सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ा है, बल्कि बंगाल के हिंदीभाषी वोटरों का भी अपमान किया है।”
उन्होंने साफ चेतावनी दी कि,
“अगर ममता सरकार ने इस मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठाया, तो 2026 के चुनाव में तृणमूल को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
🚨 हिंदी भाषियों में आक्रोश, विरोध प्रदर्शन की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, आसनसोल, दुर्गापुर, रानीगंज और बर्द्धमान में रहने वाले हिंदी भाषी समुदाय के लोग अगले सप्ताह विरोध रैली और धरना प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है।
🧾 क्या कहा था अशोक रूद्र ने?
वायरल वीडियो में देखा गया कि पार्षद अशोक रूद्र ट्रेनिंग सेंटर में काम कर रहे मजदूरों को धमकी भरे लहजे में ‘बाहरी’ कह रहे हैं, और स्थानीय लोगों को नौकरी देने की बात कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने सफाई दी है कि उनकी मंशा केवल स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता दिलाना है।
🗳️ क्या तृणमूल को पड़ेगा चुनावी नुकसान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिंदी भाषी मतदाता, जो कि आसनसोल, दुर्गापुर, उत्तर बंगाल और सीमावर्ती जिलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, इस विवाद के चलते तृणमूल से दूरी बना सकते हैं। भाजपा पहले से ही इस मुद्दे को उठाकर “बंगाली बनाम बाहरी” की राजनीति का आरोप लगाती रही है।