कुल्टी से सत्येंद्र यादव के रिपोर्ट : कुल्टी रेलवे स्टेशन के निकट शिव मंदिर में शुक्रवार शाम को हरतालिका तीज का व्रत धूमधाम से मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु और कुंवारी युवतियों ने अच्छे वर की कामना करते हुए व्रत रखा। मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा, जहां व्रतधारियों ने निर्जल व्रत रहकर पूजा-अर्चना की।
पंचांग और व्रत का महत्व
पंडित मंतोष उपाध्याय के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। विवाहित महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए और कुंवारी कन्याओं ने अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन किया। मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत पूरे मन से करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
पूजन सामग्री और व्रत की प्रक्रिया
व्रतधारियों ने पूजा की सामग्री पहले से तैयार की, जिसमें गिली मिट्टी से देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गईं। बेलपत्र, शमीपत्र, केले का पत्ता, धतूरा, तुलसी, घी, दूध, मेहंदी, काजल, बिंदी, चूड़ियां आदि सामग्रियां पूजन में शामिल की गईं। हरतालिका तीज में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है, जो प्रदोष काल में सुनी जाती है। माना जाता है कि बिना कथा सुने व्रत अधूरा रहता है।
धार्मिक कथा और शिव-पार्वती की पूजा
कथा में बताया गया है कि किस तरह गौरा ने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। इस कथा में महर्षि नारद और गिरिराज की पुत्री गौरा का उल्लेख विशेष रूप से किया गया। नारद जी ने इस विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कुल्टी की महिलाओं में भक्ति का उत्साह
कथा सुनने वाली प्रमुख महिलाओं में देंमयंती चौबे, ममता चौबे, नीलू शर्मा, ममता चौरशिया और संध्या मडांरी प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं। महिलाएं नए वस्त्र पहनकर और मेहंदी लगाकर मंदिर में पहुंचीं और भगवान शिव-पार्वती की आराधना की। दक्षिण भारत में यह तीज ‘हब्बा’ नाम से भी जानी जाती है, जहां इसे विशेष रूप से पूजा जाता है।