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गुरु रामदास जी का प्रकाश उत्सव: भक्ति, सेवा और श्रद्धा से संपन्न हुआ आयोजन!

आसनसोल: शनिवार को गोबिंद नगर गुरुद्वारा खालसा सिख संगत में गुरु रामदास जी का प्रकाश उत्सव बड़े श्रद्धा और धूमधाम से मनाया गया। इस पावन अवसर पर सिख संगत और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और गुरु जी की शिक्षाओं का स्मरण किया। पूरे गुरुद्वारे में भक्ति, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम देखने को मिला।

भाई गुरविंदर सिंह जमु के प्रवचन ने मोहा संगत का दिल

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और सिख मिशन कोलकाता के प्रचारक भाई गुरविंदर सिंह जमु ने अपने प्रवचनों में गुरु रामदास जी के जीवन और उनके द्वारा दी गईं महान शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अमृतसर की स्थापना, सेवा और परोपकार जैसे महत्वपूर्ण योगदानों पर भी विशेष रूप से चर्चा की। उनके प्रवचन ने संगत के दिलों को छू लिया और सभी को गुरु जी की शिक्षाओं पर चलने की प्रेरणा दी।

धनबाद से आए हरजस कीर्तन जत्थे ने बांधा समां

धनबाद से आए हरजस कीर्तन जत्थे ने मधुर गुरबाणी का गायन किया, जिससे श्रद्धालु भावविभोर हो गए। उनके शबद और कीर्तन ने समूची संगत को भक्ति के सागर में डुबो दिया। सभी श्रद्धालुओं ने बड़ी श्रद्धा के साथ गुरबाणी सुनी और गुरु जी के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त किया।

समाजसेवी कुलदीप सिंह सालूजा का सम्मान

इस अवसर पर आसनसोल गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान और समाजसेवी कुलदीप सिंह सालूजा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। गुरुद्वारा प्रधान सतनाम सिंह ने उनके योगदान की सराहना की और गुरु घर की सेवा में उनके समर्पण की तारीफ की। साथ ही, गुरुद्वारा के नवीनीकरण और विकास के भविष्य की योजनाओं का जिक्र करते हुए, सतनाम सिंह ने संगत से इसमें सहयोग करने का आह्वान किया।

संगत के सहयोग से सफलता

गुरुद्वारा के सचिव बेअंत सिंह ने संगत का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह आयोजन पूरी संगत के सहयोग से सफल हुआ है। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा के आगामी विकास कार्यों के लिए भी संगत का समर्थन आवश्यक है और आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इसी तरह का सहयोग प्राप्त होगा।

लंगर में उमड़ा भाईचारे का ज्वार

कार्यक्रम के समापन पर सभी के लिए गुरु का लंगर आयोजित किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। लंगर में आपसी भाईचारे और सेवा की भावना पूरे उत्सव की जान रही।

इस प्रकार, गुरु रामदास जी के प्रकाश उत्सव का समापन भक्ति, सेवा और श्रद्धा से भरा रहा। सभी ने गुरु जी की शिक्षाओं को आत्मसात किया और अपने जीवन में उन पर चलने का संकल्प लिया।

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