गुरु गोबिंद सिंह जयंती: शौर्य, धर्म और बलिदान के प्रतीक को नमन!

आज है गुरु गोबिंद सिंह जयंती! शिखों के दसवें गुरु, महायोद्धा, दार्शनिक, कवि और धार्मिक मार्गदर्शक गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708)। वे न केवल शिख धर्म के आस्था स्तंभ थे बल्कि धार्मिक चेतना के अद्वितीय प्रेरणास्रोत भी थे।

🔶 गुरु गोबिंद सिंह जी का अमर योगदान 🔶

खालसा पंथ की स्थापना (1699): उन्होंने “खालसा पंथ” की स्थापना की, जिसने सिख समुदाय को एक संगठित, धार्मिक और योद्धा रूप दिया।
पांच ककारों का प्रचलन: उन्होंने “केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छेरा” का प्रचार किया, जो आज भी सिख पहचान का प्रतीक हैं।
गुरु ग्रंथ साहिब का अंतिम रूप: गुरु अर्जन देव जी द्वारा संकलित गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु गोबिंद सिंह जी ने अंतिम रूप दिया और इसे सिखों का सर्वोच्च धर्मग्रंथ घोषित किया।
अत्याचार के खिलाफ संघर्ष: उन्होंने मुगल शासन और धार्मिक दमन के विरुद्ध वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा और न्याय व धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया।

🔥 गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं आज भी क्यों महत्वपूर्ण हैं?

गुरु गोबिंद सिंह जी सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए आदर्श हैं। उनकी शिक्षाएं साहस, निडरता, आत्म-बलिदान और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का संदेश देती हैं। उन्होंने कहा था—
📢 “बिना चरित्र वाली शक्ति और बिना जीवन वाले धर्म – दोनों ही खतरनाक हैं!”

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