कोलकाता, 24 नवंबर 2024: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने राजभवन में अपनी मूर्ति का अनावरण कर एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया। यह समारोह शनिवार को एक पेंटिंग प्रदर्शनी और ड्राइंग प्रतियोगिता के उद्घाटन से पहले आयोजित हुआ।
राज्यपाल का बयान: “यह एक उपहार है”
राजभवन ने स्पष्ट किया कि यह मूर्ति राज्यपाल द्वारा नहीं बनवाई गई है। यह कोलकाता के इंडियन म्यूजियम से जुड़े कलाकार परथा साहा द्वारा बनाया गया एक उपहार है। यह फाइबर मूर्ति राज्यपाल के एक फोटो पर आधारित है, हालांकि कलाकार ने कभी भी राज्यपाल से मुलाकात नहीं की है।
तृणमूल, वामपंथ और कांग्रेस का संयुक्त हमला
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने तंज कसते हुए कहा,
“अपनी मूर्ति का अनावरण आत्मप्रचार का एक तरीका है। अब क्या वह अपनी मूर्ति पर माला चढ़ाएंगे? यह एक माने हुए आत्ममुग्ध व्यक्ति की निशानी है।”
सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने इसे “शर्मनाक” करार दिया।
“यह राज्य के लोगों की संस्कृति पर हमला है। यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कांग्रेस के प्रवक्ता सौम्या आईच रॉय ने कहा,
“यह बेहद शर्मनाक घटना है। यह बंगाल की संस्कृति का अपमान करने का एक खेल है।”
सोशल मीडिया पर बवाल
राज्यपाल द्वारा मूर्ति के अनावरण की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। कई लोगों ने इसे “अहंकार की अभिव्यक्ति” और “आत्मस्तुति” करार दिया है।
राज्यपाल बोले: “बंगाल की राजनीतिक स्थिति बहुत खराब है”
मूर्ति अनावरण समारोह में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने पश्चिम बंगाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को “बहुत खराब” बताया। उन्होंने कहा,
“यह स्थिति केवल राजनेताओं को प्रभावित कर रही है। लेकिन बंगाल के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल को “मीठा और खट्टा अनुभव” बताया।
तृणमूल का तंज और विवाद के केंद्र में राज्यपाल
तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को राज्यपाल की गैर-जिम्मेदाराना हरकत बताते हुए कहा,
“यह केवल खुद को महिमामंडित करने का प्रयास है। राजभवन की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया गया है।”
बंगाल की संस्कृति का अपमान या कलाकार का सम्मान?
कलाकार परथा साहा ने कहा कि यह पूरी तरह से उनकी व्यक्तिगत पहल थी और उन्होंने राज्यपाल का सम्मान करने के लिए यह मूर्ति उपहार में दी। हालांकि, राजनीतिक हलकों और आम जनता ने इसे अलग नजरिए से देखा है।